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________________ ॥ कल्याण कलिका. खं० २॥ ॥ श्री पादलिप्तरिप्रणीतः प्रतिष्ठाविधिः ॥ ॥ २९६ ॥ शुभफलवर्ग - नालियोर, बीजोरां, केला, नारंगी, आंधा, केरी, जांबू, कोहलां, वंताक, आंबलां, बोर, आदि श्रेष्ठ फलो । सोपारिओ। नागरखेलनां पानो । १०८ मातृका पडिओ। १ सेई अखंड चोखा-शेलडिओ, अने विविध फूलो । इत्यादि प्रतिष्ठा सामग्री पुष्कल एकत्र करी उत्तम वेदिका उपर राखवी. उत्सव क्रिया (१) मंडपप्रतिमा प्रवेश - प्रतिष्ठोत्सवना प्रथम दिवसे सर्व प्रथम मण्डपनी प्रतिष्ठा अने बेदी, पूजन करीने तेमा प्रतिमा प्रवेश | कराबवो. ते माटे प्रथम प्रतिष्ठाचार्य ४ स्नात्रकारोनी साथे प्रतिष्ठामंडपना पूर्व द्वारे जइने - १."ॐ न्यग्रोधात्मने सुराधिपतोरणाय नमः ।" आ मंत्र बोली तोरण उपर वासाक्षत नाखे, स्नात्रकारो जल-चन्दनादिक छांटे, पुष्पो चढावे अने धूप उखेवे. २-“ॐ पूर्वद्वारव्यवस्थिताय धर्मध्वजाय नमः ।" आ मंत्र भणी ध्वज उपर, ३."ॐ मेघाय नमः ।" आ मंत्र बडे डाबा हाथ तरफनी बार शाखा उपर अने ४."ॐ महामेघाय नमः" ए मंत्रथी जमणा हाथ तरफनी बार शाखा उपर त्रण त्रण वार वासाक्षत नाखे, स्नात्रकारो जल- | चन्दन-पुष्पादि चढावे. ए पछी प्रतिष्ठाचार्य दक्षिणद्वारा जइ उपर प्रमाणे ज तोरण, ध्वज अने शाखाना मंत्रो बडे ते ते उपर वासक्षेप करे. स्नात्रकारो जलचन्दनादि चढावे. ए पछी दक्षिणद्वारे जइ त्यां प्रतिष्ठा करे, तेना मंत्रो नीचे प्रमाणे-- दक्षिणद्वारना प्रतिष्ठामंत्रो-१ "ॐ उदुम्बरात्मने धर्मराजतोरणाय नमः।" २ "ॐ दक्षिणद्वारव्यवस्थिताय मानध्वजाय | पछी प्रतिष्ठाचार्य दक्षिणा त्या प्रतिष्ठा करे, तेना मा ॥ २९६ ॥ " "ॐ दक्षिणद्वार Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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