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________________ ।। कल्याणकलिका. ॥ दशमाहिके अञ्जनशलाकाप्रतिष्ठाविधि ॥ ।। २११ ।। प्रथम पंचामृत बडे जिनने स्नपन करावीने, शुद्ध जले भरेला १०८ कलशोए "चक्रे देवेन्द्रराजैः' इत्यादि काव्य भणवा पूर्वक १०८ | स्वच्छ जलना अभिषेक करावीने पूजा करवी, नैवेद्य ढोक, अने दिशाओमां दिक्पालोने बलिक्षेप करवो. देववन्दन करवू, अने सौभाग्य मंत्रन्यास करीने नमस्कार मंत्र भणतां हाथथी कंकण छोडवू. __कृत्यविधि - प्रतिष्ठा पछी आवश्यक कार्ये तेज दिवसे कंकण छोडवानी विधि करवी. अन्यथा त्रीजे पांचमे वा सातमे शुभ दिवसे कंकण छोडवां. प्रथम प्रतिमाने नीचे प्रमाणे पञ्चामृत स्नान करावQ. जयवीराय कहेवा. पछी सौभाग्य मुद्रावडे - "ॐ अवतर अवतर सोमे सोमे कुरु कुरु वग्गु वग्गु निवग्गु निवग्गु सुमणे सोमणसे महु महुरे ॐ कविल ॐ कः क्षः स्वाहा ।" ___ सौभाग्यमुद्राए आ मंत्रनो बिंब उपर न्यास करी तेना हाथी सरसव पोटली, आरेठानी माला, मीढलनु कंकण, विगेरे उतारी पोताना प्रिय जनना हाथमा अथवा सधवा स्त्रीना हाथमां देवं. कंकण छोटन विधि (प्रकारान्तरेण) - बिम्बस्थापना संबन्धी कार्य पूरु कर्या पछी श्रीसंघे जन्माभिषेक कलश भणबादिक विधिपूर्वक पंचामृत स्नान करवू, नैवेद्यफलादि चढाववां, आगे अष्टमंगलनो आलेख करवो, स्नात्र पूर्ण थया पछी 'इरियावाही.' पडिक्कमीने गुरु साथे देववंदन करवू. चैत्यवंदन तथा स्तुति मूलनायकनी कहेवी, याद न होय तो चैत्यवंदन अने स्तुतिओ नन्दी क्रियानी कहेवी, चोथो काउसग्ग शान्तिनाथ आराधबा निमित्ते ‘सागरवरगंभीरा' सुधीनो करवो, ने पारीने शान्तिनाथनी स्तुति कहेवी. बीजा पण काउसग्गो नन्दीमा कराय छे तेज प्रमाणे करवा, For Private & Personal Use Only || २११ ।। Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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