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________________ || कल्याण कलिका. खं० २॥ ॥ दशमाहिके अञ्जनशलाकाप्रतिष्ठा । २०१। विधि ॥ ॐ ह्रीं सर्वज्ञाय लोकालोकप्रकाशकाय नमः स्वाहा । आ मंत्र भणीने बिंबने आरिसो देखाडवो. पछी ॐ वीरे वीरे जयवीरे सेणवीरे महावीरे जये विजये अपराजिते ॐ ह्रीं स्वाहा ।' । आ मंत्रे करी बिंबना मस्तके वासक्षेप करवो तथा प्रतिमाना जमणा काने श्रीखण्ड, कर्पूर, केसर, लगाडी आपणो जमणो हाथ उपर दइ एज मंत्रनो न्यास करवो, चक्र मुद्राए एज मंत्र भणतां प्रतिमानो सर्वांग स्पर्श करवो, दधिपात्र देखाडवू, अने घूप उखेववो. ए पछी गुरुए दृष्टि रक्षार्थ, सौभाग्यार्थ, स्थैर्यार्थ, सौभाग्य १, सुरभि २, प्रवचन ३, अंजलि ४, अने गरुड ५, ए पांच मुद्राओ सहित नीचेना मंत्रनो प्रतिमामां न्यास करवो - ॐ अवतर अवतर सोमे सोमे कुरु कुरु वग्गु वग्गु निवग्गु निवग्गु सुमणे सोमणसे महु महुरे ॐ कविले ॐ ह्रीं कः | क्षः स्वाहा । ए मंत्र वार ३ भणीने वास-धूप करवो. ॐ इदं रत्नमयमासनमलङ्कुर्वंतु इहोपविष्टा भव्यानवलोकयन्तु हृष्टदृष्ट्या जिनाः स्वाहा । आ मंत्र पद्म मुद्राए भणीने बिंबने समवसरणमां बेसाडबुं, समंत्राक्षर ३ नवकार कहीने वासक्षेप करवो, ३६० क्रयाणकोनो पडो | प्रतिमाना हाथमा मुकवो, ४ स्त्रिओए पुखणां करवां, स्त्रीओए यथाशक्ति सुवर्णदान देवू, आम केवल कल्याणकनो उत्सव करी पुष्पवासनी वृष्टि करवी, धूप करवो. पछी सर्वाऽपायव्यपायादधिगतविमलज्ञानमानन्दसारं, योगीन्द्रध्येयमग्यं त्रिभुवनमहितं यत्तथाव्यक्तरूपम् । नीरन्धं दर्शनायं शिवमशिवहरं छिन्नसंसारपाशम, चित्ते संचिन्तयामि प्रकटमविकट मुक्तिकान्तासुकान्तम् ॥१॥ For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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