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________________ आ श्लोक तथा मंत्र भणी ४ आंगल नाल कापी खाडामां दाटबुं. "ॐ ह्रीं पूर्वोत्तरदक्षिणेषु रम्भागृहत्रयं ब्यधुः स्वाहा ॥" “ॐ ही पालघर बांधवा. ॥ सप्तमा ॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥ काष्ठाभ्यामग्निमुत्पाय चन्दनायनाने तथा जिनमाताने | हिके जन्मकल्याणकविधि ॥ "ॐ राँ रौं बैरै रौं रः उत्तरे अरणिकाष्ठाभ्यामग्निमुत्पाद्य चन्दनायैर्नुहुवात् वषट् ।" आ मंत्र बडे चन्दनादि काष्टनो होम करी तेनी रक्षानी पोटलीओ तैयार करी जिनने तथा जिनमाताने हाथे बांधवी. ए पछी पवित्र जलकलशो, चन्दन, पुष्पो अने स्नात्रनी पुडिओ नीचेना मंत्रो बडे मंत्रवी. "ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते आपो जलं गृह्ण गृह्ण स्वाहा ।" आ मंत्रथी सर्व जल मंत्रबु. "ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते पृथु पृथु गन्धान् गृह्ण गृह्ण स्वाहा ।" आ मंत्रथी वास चंदन तथा सर्व औषधिनु अभिमंत्रण | करवं. "ॐ नमो यः सर्वतो मेदिनी पुष्पवती पुष्पं गृह्ण गृह्ण स्वाहा ।" आ मंत्र बडे पुष्पोर्नु अभिमंत्रण कर.. “ॐ नमो यः सर्वतो बलिं दह दह महाभूते तेजोधिपते धू धू धूपं गृह्ण गृह्ण स्वाहा ।" ए मंत्रथी धूप, अभिमंत्रण | क. । ए पछी नवीन बिंबना जमणा हाथनी आंगलीए पंचरत्ननी रक्षा पोटली बांधवी. पोटलीओ सौभाग्यमंत्र वडे मंत्रीने प्रत्येक बिंबना जमणा हाथे बांधवी, वली अरीठानी माला तथा जवनी माला प्रत्येक बिंबना कंठमां नाखवी, जलयात्राथी लावेल जल जलकुंडीमां भरी तेमां वास चंदन पुष्पादि नाखी 'ॐ ह्रीं नमः' आ मंत्र भणतां जलदर्शन कराबवू, धूप दीप करवा, गीतगान नाटकादि करवां. आम दिक्कुमारिकाओनो उत्सव थया पछी - छाल GOD " ॥ १५७ ॥ jainelibrary.org Jain Education Inter ! For Private Personal Use Only
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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