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________________ 18 ॥ कल्याणकलिका. खं०२॥ || प्रस्तावना ।। NHA नथी, पण दिगम्बर भट्टारकोनां नाम होय तेम लागे छे. 'इन्द्रनन्दी' दिगम्बर तथा श्वेताम्बर-बने परम्पराओमां थया छे, परन्तु श्वेताम्बर | इन्द्रनन्दी श्रीवर्धमानसूरिजीथी परवर्ती होइ आ प्रतिष्ठाकल्पकार दिगम्बर इन्द्रनन्दी ज होबानो विशेष संभव छे. गमे तेम होय पण श्रीवर्धमानसूरिजीनी पासे श्वेताम्बर तथा दिगम्बर बंने संप्रदायोनी विस्तृत प्रतिष्ठापद्धतिओ हती के जेओनुं तेमणे अनुकरण ज नहि, खूब उपजीवन पण कर्यु छे, आचार-दिनकरमा एमणे आपेली प्रतिष्ठापद्धतिमां-खास करीने 'नन्यावर्तपूजा' अने | महापूजा' ना प्रकरणोमा जे गंभीर अने विद्वत्तापूर्ण कान्योनी छटा दृष्टिगोचर थाय छे ते वस्तु श्रीवर्धमानसूरिजीनी पोतानी नहि पण तेमना पुरोगामी प्रतिष्ठाकल्पकारोनी छे. वर्धमानसूरिए श्वेताम्बर प्रतिष्ठाकल्पो उपरान्त दिगम्बरीय प्रतिष्ठाकल्पोनो पण पोतानी विधिमा उपयोग को हतो ए वातमा एमणे | वापरेला 'जैनविप्र' 'क्षुल्लक' आदि शब्दो साक्षी रूपे गणी शकाय, छतां ए पण खरुं छे के जे वस्तु श्वेताम्बरीय प्रतिष्ठा कल्पोमा मुद्दल ज न हती ते वस्तु एमणे दिगम्बरो पासेथी लीधी नथी, नन्द्यावर्तना पूजनने प्राचीन श्वेताम्बराचार्योए प्रतिष्ठानुं प्रधान अंग गणीने तेनुं | विस्तृत विधान कर्यु छे, आथी वर्धमानसूरिजीए पण एना पूजन- सविस्तर वर्णन आप्युं छे. पण कल्याणक विधिना प्रसंगो के जेनुं पहेलाना कोइ पण श्वेताम्बर संप्रदायना प्रतिष्ठा कल्पमा वर्णन के विधान न हतुं ते एमणे पण आ दिगम्बर संप्रदायनी परम्परागत वस्तुने पोतानी प्रतिष्ठाविधिमां स्थान आप्यु नथी. नंबर ५।६ ना प्रतिष्ठाकल्पनो आधार ग्रन्थ तो श्रीचन्द्रसूरिनी प्रतिष्ठापद्धतिर्नु परिमार्जन थयेलुं छे, ए पहेलांनी पद्धतियोमा प्रतिष्ठाकारक आचार्यने सुवर्णमुद्रिका अने सुवर्णकंकण धारण करवानुं विधान छे, पण आ प्रतिष्ठाकल्पकारोए ए वस्तु उडाडी दीधी छे, ए सिवाय | बीजी पण केटलीक सावद्य प्रवृत्तिओ जे पूर्व प्रतिष्ठाचार्यना हाथे थती हती ते एमणे श्रावकना हाथे करवानुं विधान कर्यु छे. परिणाम ॥२० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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