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॥ द्वितीया
॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥
ह्निके
पूर्वादि दिशाओमां – “परविद्याः क्षः फट्" अने विदिशाओमां -''परमंत्राः क्षः फट्" आ प्रमाणे आलेखेल मंत्रो उपर | तेना उच्चारणपूर्वक वासक्षेप करवो.
इन्द्रपुर उपर -"ॐ पृथिवीमंडलाय नमः" आ मंत्रोच्चारण पूर्वक वासक्षेप करवो.. पूर्ण कलशो उपर - "ॐ पूर्णकलशाय नमः" आ मंत्रोच्चारण करतां कलशो उपर वासक्षेप करवो. वायुभवन उपर -"ॐ वायु-मंडलाय नमः" आ नाम मंत्रथी वासक्षेप करवो.
पछी पाटला उपर श्वेत वस्त्र ढांकबू, गेवासूत्र वींटो उपर श्रीफल मूकबुं, चल प्रतिष्ठा जणाववा माटे मध्यभागमा प्रतिष्ठाप्य बिंबनी स्थापना कल्पवी, आसपास सात धान्य वेर, फल-मेवो वस्त्र उपर चढाववो, आगल पक्वान्नादि नैवेद्य ढोकवू, अने पछी नमस्कार पूर्वक संपूर्ण चैत्यवंदना करवी.
नद्यावादिपूजनविधि
॥ १०७ ॥
||१०७॥
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