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________________ ॥ कल्याणकलिका. | खं० २॥ ॥ द्वितीयाहिके नैर्ऋत्य कोणमां-ॐ भवनपत्यादिदेवीपरिषत्रिकाय नमः ।४-६। वायव्य कोणमां-ॐ भवनपत्यादिदेवपरिषत्रिकाय नमः ।७-९। ईशान कोणमां-ॐ वैमानिकदेवादिपरिषत्रिकाय नमः ॥१०-१२। आ मंत्रपदो बोलीने वासचूर्ण बडे परिषत् त्रिकोनी पूजा करवी.. ॐ नंद्यावर्तादिद्वितीय प्राकारमा तिर्यञ्चो अने तृतीयमां यान-वाहनो उपर वासक्षेप करवो, प्रथम प्राकारना पूर्वादि द्वारपालोनी नीचे प्रमाणे पूजा || पूजनविधि करवी - ॐ सोमाय नमः १, ॐ यमाय नमः २, ॐ वरुणाय नमः ३, ॐ कुबेराय नमः ४. द्वितीय प्राकारनी द्वारपालिकाओनी नीचेना मंत्रो द्वारा वासपूजा करवी - ॐ जयायै नमः १, ॐ विजयायै नमः २, ॐ अजितायै नमः ३, ॐ अपराजितायै नमः ४. तृतीय प्राकारना द्वारपाल तुंबरुनी नीचे प्रमाणे पूजा करवी. ॐ तुम्बरवे नमः १, ॐ तुम्बरवे नमः २, ॐ तुम्बरवे नमः ३, ॐ तुम्बरवे नमः ४. त्रणे प्राकारोनां पूर्वादि द्वारोना तोरणोनी पूजा नीचे प्रमाणे करवी - ॐ शान्तितोरणेभ्यो नमः १॥ ॐ भूतितोरणेभ्यो नमः २, ॐ बलतोरणेभ्यो नमः ३॥ ॐ आरोग्यतोरणेभ्यो नमः ४॥ पूर्वादि द्वारोनां ध्वजोनुं पूजन नीचे प्रमाणे करवं. ॐ धर्मध्वजाय नमः । ॐ मानध्वजाय नमः । ॐ गजध्वजाय नमः । ॐ सिंहध्वजाय नमः ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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