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________________ ॥ कल्याणकलिका. ॥ नव्य प्रतिष्ठा पद्धतिः ॥ ॥ ७४ ॥ 29 - हारमाला गोठवी नाखवाथी पत्रिकानी वास्तविकता चाली जाय छे अने समजु माणसोनी दृष्टिए ते केवल अर्थवाद-प्रशस्तिनुं रूप धारण | करे छे. पत्रिकामा लखनार तरीके सही करवानो पण रीवाज छे. कोइ स्थले नगरशेठ, तो कोइ स्थले संघनो आगेवान सही करे छे. पण मोटी प्रतिष्ठाओनी आमंत्रण पत्रिकाओमां सही करवाना पण चढावा बोलाय छे अने हजारो रुपियानी उपज थाय छे. घणा गामोमां प्रतिष्ठाना दिवसनी नोकारसीनो चढावो लेनार गृहस्थ आमंत्रण पत्रिकामा लखनाररूपे हस्ताक्षर करे छे, भले हस्ताक्षर गमे ते करे पण ते दश बार वर्षनो निशालियो तो न ज होवो जोइये. पत्रिका नीचे हस्ताक्षर करनार माणस प्रसिद्ध अने चढावो लेनारना घरनो अग्रेसर व्यक्ति होवो जोइये. लगभग चार दायका पूर्व पत्रिकाओ परिमित संख्यामां लखाती हती. पोताना गोलनां २५-५० गामोमां अने बहु तो ते उपरान्त आसपासनां २-४ गोलोना गामो सुधी पत्रिकाओ लखाती के जे १००-१५० थी भाग्ये ज अधिक होती. आजे ए मर्यादा रही नथी. घणां स्थले १००० अथवा तो २००० नी संख्यामा पत्रिकाओ छपाय अने मोकलाय छे. आ अतिप्रवृत्ति उपयोगी नथी, दूर दूर मोकलाती पत्रिकाओनो अर्थ एक विज्ञापनथी अधिक थतो होय एम अमो मानता नथी. (८) औषधि बांटनारी स्त्रियो । प्रतिष्ठामां औषधिओ बांटवा अने पुंखवा आदिनां कामो करवा माटे ४ अथवा ८ स्त्रियोनी प्रथमथी ज सगवड करी राखबी जोइये. निर्वाणकलिका पण ८ अथवा ४ स्त्रियोद्वारा पुंखवानुं विधान करे छे के . "सुवर्णादिदानपुरःसरमष्टौ चतस्रो वा नार्यो रक्तसूत्रेण स्पृशेयुः, शेषाश्च मंगलानि दधुः ।" अर्थात् सुवर्ण आदिनुं दान आपती ८ अथवा ४ स्त्रियो रक्तसूत्रनो स्पर्श करवा पूर्वक पुंखणा | A ल ॥ ७४ ।। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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