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________________ ॥ कल्याण- कलिका. खं० २॥ ॥ नव्य प्रतिष्ठा पद्धतिः ।। ॥ ७३ ।। गृहस्थो घणा होय तो शुभ मुहूर्ते चढावा बोलीने आदेश आपवा. मारवाडमां नोकारसी निमित्ते बोलाता चढावाओमा पूर्वे नोकारसीनो खर्च आदेश लेनार उपर रहेतो हतो पण आज केटलाक समयथी त्यां पण बीजा प्रदेशोनी जेम नोकारसीनो खर्च बोलाएल रकममाथी ज करवानी पद्धति पडी गइ छे, आ दशामां जो चढावानी रकम भोजनखर्च पूरती पण आवबानो संभव न होय तो रकमनो एक सारो आंक बांधीने त्यांधीज चढावो बोलवानी शरुआत करवी के जेथी | थोडामा नोकारसीनुं नाम करीने साधारण खातामां घाटो घालनारा फावी शके नहिं अने नोकारसीओना आधिक्यथी प्रतिष्ठा करावनारने अधिक खर्चमा उतरवू पडे नहिं. ___साधार्मिक वात्सल्यो नोकारसीओ अथवा बीजा गमे ते नाम नीचे संघ तरफथी संघभक्तिनो आदेश थया पछी संघने बोलाववा माटेनी आमंत्रण पत्रिकाओ तैयार करवी. (७) संघ-आमंत्रण पत्रिका ___ संघने बोलाववा निमित्ते लखाती आमंत्रण पत्रिका पूर्वे घणी ज सादी अने मुद्दासरनी होती. पण लगभग ४० वर्षथी आ पत्रिकाए पोतानुं स्वरूप बदलवा मांड्युं अने थोडं थोडं करतां कलेवर घणुं ज वधी गयुं छे. आजे जे प्रतिष्ठानी आमंत्रण पत्रिका दोढ हाथ लांबी - अने एक हाथ पहोली न होय ते प्रतिष्ठा ज सामान्य हशे आम सामान्य जनसमाज मानी ले छे, बली आजनी प्रतिष्ठा-पत्रिकामा त्रण रंगो न पूराय त्यां सुधी ते उपर घणीनी पसंदगी ज उतरती नथी. पत्रिका संबन्धी आ परिवर्तनोनी अमो अनुमोदना करी शकता नथी, पत्रिकानुं कलेबर वधारवाथी के तेमा घणा रंगो पूरबाथी तेनुं महत्त्व वधतुं नथी, लखनारनी समज चतुराई अने विद्वत्तापूर्ण लेखन शैलीना समागमथी ज तेनी किम्मत बधे छे. असद्भूत विशेषणोनी For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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