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________________ ॥ कल्याण || जिन कलिका. बिम्ब प्रवेश विधिः ॥ बा G आसनयंत्र २ बीजं आसनयंत्र जिनप्रभीय प्रतिष्ठाविधिमां छे. आ यंत्रनी निर्माणरीतिना संबन्धमा आचार्य कंइ वर्णन के व्यवस्थानो उल्लेख कर्यो | नथी, पण एनी स्थापनाना संबन्धमां नीचेना शब्दोमा व्यवस्था आपी छे - "इदं यंत्रं ताम्रपत्रे उत्कीर्य देवगृहे मूलनायकबिम्बस्याधो निधापयेत् । बिम्बस्य सकलीकरणं शान्ति पुष्टिं च करोति । यस्याधस्तनविभागे मूलनायकस्य क्षिप्यते तस्य नाम मध्ये दीयते, मूलनायकस्य यक्ष-यक्षिण्यौ च लिख्यते । अत्र तु श्रीपार्श्वनाथतद्यक्षयक्षिणीनां नामन्यासो | निदर्शनमात्रमिति ।" अर्थात्-‘आ यंत्र त्रांबाना पत्रामां खोदावीने देवालयमा मूलनायक प्रतिमाना आसन नीचे राखg, आ यंत्र बिम्बमा | कला (अतिशय, प्रभाव) उत्पन्न करे छे, अने शान्ति तथा पुष्टि करे छे. जे मूलनायक नीचे यंत्र राख, तेनुं तेना मध्यभागमा नाम लखवू, अने मूलनायकना यक्ष-यक्षिणीनो पण तेमां आलेख करवो अथवा तेमनां नाम लखवां. आ यंत्रमा पार्श्वनाथ धरणेन्द्र पद्मावतीनां नामो दृष्टान्तरूप समजवानां छे. आचार्य जिनप्रभसूरि कहे छे. "ॐ ह्रीं आं श्रीपार्श्वनाथाय स्वाहा ।" आ मंत्रे प्रथम उपवास पूर्वक १०००० जाइनां पुष्पो जपीने यंत्र उपर चढावबां, पछी यंत्र पीठ उपर स्थापन करवू. यंत्रमा जेम मूलनायकनुं नाम लखवानुं छे, ते ज प्रमाणे जापमां पण मूलनायकनु ज नाम बोलवान छे, ए वस्तु अर्थतः सिद्ध छे, अहीयां जप्यमंत्रमा लखेल 'पार्श्वनाथ' ए नाम दृष्टान्त मात्र समजबुं. For Private & Personal Use Only ॥ ६६ ॥ Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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