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। कल्याणकलिका. खं० २॥
॥ जिनबिम्ब
धारयर स्याहा
प्रवेश
आसनयंत्र ३ उपर्युक्त बे आसनयंत्रो उपरान्त एक त्रीजुं आसनयंत्र पण छे के जे 'कूर्मयंत्र' ना नामथी ओलखाय छे. आज काल प्रायः घणा खरा प्रतिष्ठाकारको पीठ उपर राखेल खाडामां पंचरत्नादिक मांगलिक पदार्थो स्थाप्या पछी ते उपर आ 'कूर्मयंत्र'ने स्थापे छे. कूर्मयंत्र एक सादामा सादं यंत्र छ, लगभग ३ इंच समचोरस त्रांबार्नु पर्छ करावी ते उपर कूर्मनो आकार कोतरावे छे, अने ते उपर सुगन्धी द्रव्यो बड़े 'स्वस्तिक' आलेखी तेना ४ पांखडीयोनी नीचे “ॐ कूर्म-निजपृष्ठे जिनबिम्ब-धारय २ स्वाहा ।" आम चारे दिशाओमां मंत्रखंडो लखीने ए यंत्र पीठ (पवासण गादी) उपर कूर्मनु मुख द्वार तरफ आवे एवी रीते स्थापे छे अने ते उपर शुभ समय आवे त्यारे मूलनायक प्रतिमाने प्रतिष्ठित करे छे.
विधिः ॥
६७ ॥
(२)
जिनबिंबं
। | निजपृष्ठे
॥ ६७॥
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