________________
बाल
॥ कल्याण-
कलिका.
खं० २ ॥
। जिनबिम्ब प्रवेश विधिः ।।
१ जंभा २ विजया ३ जंभिनी ४ अजिता ५ मोहा ६ अपराजिता ७ मोहिनी ८ ए आठ देवीओनो आलेख करवो वा नामो लखवां.
रेखाओना वज्रो आगे 'ॐ' अने बे 'ॐ' वच्चे कामबीज (क्ली) लखवू, मंडलना मध्यभागे उपर 'ह्रीं' कार लखी तेनी मात्रा (ई) वडे यंत्रने ३ वार वींटवू, अने मात्रा पूरी थाय त्यां 'क्रौं' लखीने यंत्रने संपूर्ण कर.
उक्त रीतिए यंत्र पत्रा उपर लखीने दूध तथा जल बड़े पखालवू, सुगन्धि द्रव्योए मिश्रित चंदन वडे विलेपन करवू, उत्तमपुष्प, अक्षत, नैवेद्य, दीप, धूप, फलोधी तेने पूजवू, अने मातृका वर्णात्मक निम्नोक्त मालामंत्रनो १०८ पुष्पो उपर जाप करीने पुष्पो यंत्र उपर चढाववां, मातृकावर्णमंत्र आ प्रमाणे छे
“ॐ नमोऽहं अआ इई उऊ ऋऋ लूल एऐ ओऔ अंअः कखगघङ चछजझञ टठडढण तथदधन पफबभम यरलव शषसह ह्रीं क्लीं क्रौँ स्वाहा ।"
पत्राना मध्यकोष्ठकमां कमल छे, तेवो ज कमल पीठ उपर पण सुगंधि द्रव्योना रसथी लखवो, उपर कपूर केर वगेरे छांटवां, पारो तथा पंचरत्न ते उपर स्थापीने पूर्वोक्त पत्रु त्यां स्थापवू, ते पछी शुभ लग्न नवमांशकमां ते आसन उपर प्रतिमा प्रतिष्ठित करवी, अने Ma तेमां पृथ्वी तत्त्वनुं चिन्तन करवू, एवो आम्नाय छे.
॥ ६४ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org