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। कल्याणकलिका. खं० २ ॥
बिम्ब प्रवेश
विधिः ।।
॥ ४३ ।
॥ दशदिक्पाल स्थापनविधि ।। बीजा सेवनना पाटला उपर यक्षकर्दमना रसे अघाडानी लेखण बड़े दशदिक्पालोनां नाम मंत्र आलेखवा, उपर पीत वस्त्र ढांक, १० मण्डले पान मूकी चोखानी ढगली करी उजली सोपारी अने त्रांबानाणुं चढावी धूप करवो, ए पछी फूल, वास, चोखा पाणीनी पसली भरीने -
“ॐ इन्द्राग्नियम-नैर्ऋतवरुणाः समीरणकुबेराः । ईशानब्रह्मनागा, जिनपतिपुरतोऽवतिष्ठन्तु स्वाहा ॥" __ आ पाठ ३ वार बोली दिशापालोने फूलवासादिकथी वधाववा अने ए पाटलो पीठथी डाबी तरफ स्थापन करवो, पछी ग्रह दिक्पालोनी मध्यमां उभा रही हाथ जोडीने -
"ॐ इन्द्रादयो दिक्पाला आदित्यादयो ग्रहाश्च स्वस्व दिशि स्थिता विघ्नप्रशान्तिकरा भवन्तु स्वाहा ।" आ प्रमाणे प्रार्थना करवी - प्रवेशने दिवसे उपर प्रमाणे प्रथम ग्रह दिक्पालोनी स्थापनी करी पछी स्थापनीय जिनबिम्बने लेवा जळू.
॥स्थापनीय बिम्ब लेवा जवानी विधि । मुहूर्तना दिवसे प्रभात समये चतुर्विध संघ साथे नीचे मुजब तैयारी करी मंडपमा बिम्ब लेवा जg.
उत्तम ब्रह्मचारी पुरुष मंत्र पूर्वक स्नान करी, नवां वस्त्राभूषण पहेरी, श्रीजिनचैत्यथी अंग अवयवे अखंडित पंचतीर्थी प्रतिमा आणीने १ थालमां केसर चन्दननो साथियो करी पाली १ सेर २, अखंडित अक्षतनो साथियो करी उपर ७ सोपारी मकी उपर रूपानाणं मकी |
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