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________________ ॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥ ॥ जिनबिम्ब प्रवेश विधिः ॥ ए गाथा ३ वार कहीने पात्र उपर अगासीमां मूके, अने धूप उखेबीने नीचे उतरे. जेने घरे अथवा जे स्थाने स्थापनीय बिम्ब होय त्यां रात्रिजागरण करवू. ते ज रात्रिए पहोर १ रात गया पछी देवगृहमध्ये उभो रही अगर उखेववा पूर्वक उपसर्गहरनी अक्षर शुद्ध १ माला गणे. मध्यरात्रे निर्धूम अंगारे १ पात्र भरी उपर अगासीमां मूकबुं, तेमां दशांग धूप करी घडी १ सुधी-- "सर्वक्षेत्रदेवता मुजने सानुकूल होजो" आ प्रमाणे कहीने नीचे उतरे. ॥ नवग्रह स्थापनविधि ॥ बिम्ब प्रवेशने दिवसे प्रभाते एक सेवनना पाटला उपर यक्षकर्दमे करी नवग्रह मंडल आलेखी रक्त बस्ने ढांक_, प्रतिखंडे मंडल उपर पान चढाववां, उपर चोखानी ढगली करीने ते उपर नव खण्डे त्रांबानाणुं मूकवू, धूप उखेवबो, उपर १ श्रीफल ढोवू, नैवेद्य चढाव, मोदक १ खाजु २, इत्यादि नैवेद्य मूक, रक्त वस्त्र ओढाडवू. ए पछी फूल वास चोखा पाणीनी अंजलि भरीने - “ॐ आदित्य-सोम-मंगल-बुधगुरुशुक्राः शनैश्वरो राहुः । केतुप्रमुखाः खेटा, जिनपतिपुरतोऽवतिष्ठन्तु स्वाहा ॥" ए मंत्र ३ बार भणी फूल प्रमुखे करी ग्रहमंडलने वधाव, अने पाटलो जिनपीठथी जमणी बाजुमा स्थापन करवो. ATION ॥ ४२ ॥ श Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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