________________
/
SMS
त थालमां पंचतीर्थी पधराववी, बीजा १ थालमा अखियाणु (प्राभृत-भेटणुं) ५ सेर अक्षत अने रूपानाणुं मूकी, ते थाली लई एक | || कल्याण
व्यक्ति जिनबिम्ब आगल उभी रहे, त्रीजा थालमा ४ हांसनो अने ४ वाटनो माणेकदीवो घीए भरी अंदर रूपानाणु मूकीने प्रकटावी am|| जिनकलिका. राखवो, ते थाल जिनबिम्ब आगल जमणी तरफ एक व्यक्ति लइ उभी रहे, चोथा थालमा अक्षत-चोखा बडे अष्टमंगलिक आलेखी वास बिम्ब
पुष्पे पूजी ते थाल लइ एक व्यक्ति जिनबिम्ब संमुख उभी रहे, पांचमां थालमा २ वस्त्रो केसरनो नन्द्यावर्त करीने मूकवां, अने ते थाल प्रवेश लेइ एक व्यक्ति जिनबिम्बनी आगल उभी रहे.
विधिः ॥ ।। ४४ ॥
नाना २ घडा पवित्र लेई तेमां अखंड चोखा सेर १॥ तथा सोपारी ७ मूकी उपर नीलो तथा पीलो तास्तो अथवा कसूंबीवस्त्र ढांकg, कांठे गेवासूत्र बांधवू, फूलमाला पहेराववी, उपर श्रीफल मूंकवं. पछी ते घडा सोहागण पुत्रवती बे स्त्रियो सोल शणगारे शोभती माथे उपाडीने श्रीजिनबिम्बनी डाबी-जमणी तरफ उभी रहे, ते वखते श्रीसंघने तंबोल आपे, अर्थात् श्रीफल मीठाईना पडा प्रमुखनी प्रभावना यथाशक्ति आपे.
पछी पंचशब्द वाजिंत्र नगारानोबत बाजते गाजते आगल चतुर्विध संघ खेला प्रमुख नाचते अनेक हाथी, घोडा, सांबेला चालते, याचक बिरुदावली बोलते, पाछल सुहासण स्त्रियोनो समुदाय अनेक धवलगीत गावते ऋद्धि विस्तार सहित याचक जनने दान देतां घेरथी
निकली मार्गमा अपशब्द क्रूर शब्द के दुर्वचन न बोलता मंगल शब्दो बोलतां श्री जिनशासननी उन्नति बधारतां ज्यां स्थापनीय बिम्ब - होय ते घरना अथवा मंडपना द्वारे आवे.
त्यां घरधणी सोहासण स्त्री पासे श्रीफल तथा अखिआणा ढोबरावे, सोना रूपाना पुष्पोए मोतीए अने अक्षते वधावरावे, जिन aal बिम्बने लूंछणा करी याचकने दान आपे, जिनबिम्बने नमस्कार करे, पछी संघसहित घरमां या मांडवामां आवे, स्थापनीय बिम्बवाला | ॥ ४४ ॥
Jain Education International
For Private & Personal use only
www.jainelibrary.org