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॥ कल्याणकलिका. खं० २॥
॥ हृदय प्रतिष्ठा विधिः ।।
॥ ३५
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नमः ।" ॥२२॥ “ॐ हाँ तेजसे नमः ।" ॥२३॥ "ॐ हाँ अभ्यो नमः ।" ॥२४॥ "ॐ ह्रां पृथिव्यै नमः ।" | ॥२५॥
नाडिदशकनो न्यास - उपरना २५ तत्त्वोनो पुरुषमा न्यास करी नीचे प्रमाणे १० नाडिओनो न्यास करवो.
ॐ हाँ इडायै नमः । ॐ हाँ पिङ्गलायै नमः । ॐ हाँ सुषुम्णायै नमः । ॐ हाँ सावित्र्यै नमः । ॐ ह्रां शंखिन्य नमः । ॐ ह्रां कूष्माण्डिन्यै नमः । ॐ ह्रां यशोवत्यै नमः । ॐ ह्रां हस्तिजिह्वायै नमः । ॐ हाँ पूषायै नमः । ॐ हाँ अलम्बुषायै नमः ।
वायुदशकनो विन्यास-ॐ हाँ प्राणाय नमः । ॐ हाँ अपानाय नमः । ॐ हाँ समानाय नमः । ॐ हाँ उदानाय नमः । ॐ हाँ व्यानाय नमः । ॐ हाँ नागाय नमः । ॐ हाँ कूर्माय नमः । ॐ हाँ कृकलासाय नमः । ॐ हाँ देवदत्ताय नमः । ॐ ह्रीँ धनंजनयाय नमः ।
ए प्रमाणे प्रासादपुरुषमा २५ तत्त्वो, १० नाडी, अने १० पवनोनो न्यास करी विधिकारे गन्ध, पुष्प, अक्षतादिथी तेनी पूजा करी ५ मुद्राओ देखाडवी.
निवेशन - प्रासाद पुरुषमा प्राणवेश कराव्या पछी प्राचीन विधि प्रमाणे आंबलसारामा पलंग ढाली, ते उपर सोनानो रूपानो अथवा छेबटे त्रांबानो कुंभ स्थापन करखो, तेने मधु अने घृत वडे भरी तेमां पंचरत्न नांखी तेज जातिनी धातुना ढांकणाथी ढांकी, तेने चन्दनादि सुगन्ध पदार्थोनुं विलेपन करवू. पछी श्वेत वस्त्रयुगल पहेरावी, प्रासादपुरुषनी ते उपर स्थापना करवी, एबु निर्माणकलिका
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