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________________ ॥ कल्याणकलिका. खं०२॥ प्रतिष्ठा विधिः ॥ प्रतिष्ठा पद्धतिमा विधान छे. पण आ विधि आजकाल प्रचलित नथी. ____ अपराजितपृच्छामां प्रासाद पुरुषने घृतपूर्ण पात्र उपर त्रांबाना पलंगमां सुवाडवानुं अने पलंगना ४ पायाओ पासे ४ निधि कलशो स्थापवानुं विधान कर्यु छे. ते प्रमाणे पण आजे शिल्पिओ करता जणाता नथी. आजकालनी प्रचलित पद्धति प्रमाणे प्रथम त्रांबाना कलशियामां घृत भरीने घणा खरा कारीगरो तेना उपर त्रांबार्नु ढांकणुं देइने - पेक करी दे छे. ज्यारे केटलाको एम ज ढांकी दे छे. पछी ते घृतकलश सारा मुहूर्ते आंबलसाराना गर्भमां मूकीने तेने उपरथी ढांकी दे छे अने पाछलथी ते उपर चन्दनना पलंगमां प्रासाद पुरुषने पोढाडे छे. पलंग सोनानो, रूपानो, त्रांबानो अथवा चंदननो बनाववो, पलंगनुं परिमाण पुरुषना मापथी दोढुं लांबु, अने लंबाइथी अर्ध पहोरों करवू, पलंग रेशमनी दोरीथी वणी उपर रेशमी गादी तकिया बीछावीने शुभ समयमां "अहंदाज्ञया प्रासाद स्थितिपर्यन्तं त्वयाऽत्र | स्थातव्यम्" आ मंत्र बोली प्रासाद पुरुषने पलंग उपर पोढाडवो. अने 'संनिधापनी' मुद्रा देखाडी संनिधापन करवू. प्रासादपुरुष- मस्तक प्रासादने पछवाडे अने पग आगल द्वारनी दिशामां आवे एवी रीते शयन कराव, उपर वासक्षेप करवो, चन्दनादि सुगन्ध पदार्थो छांटवा, उपर श्वेत वस्त्र ओढाडवू, पासे धूपदीप मूकवा, अने पछी ते गर्भने उपरना थर वडे ढांकी देवो. आ प्रसंगे पण मंगलगीत बाजिंत्रादिना स्वरोथी उत्सव- दृश्य दीपावg, धूमधाम करवो, विधि करनारनो सत्कार करवो. || ३६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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