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________________ लग्न - लक्षणम् ] ५५१ बलवान् होय छे ज्यारे मंगलादि ग्रहो विपुल स्निग्ध किरणवाला अने वक्रगामी होय त्यारे बलिष्ठ होय छे. ग्रहयुद्धमा जे ग्रहो उत्तर तरफ थइने जाये छे ते विजेता होइ बलवान् गणाय छे, सूर्यने छोडी शेष ग्रहो चंद्रनी साथे होय छे त्यारे ते चेष्टाबली होइ बलवान् होय छे, सौम्य ग्रहो वडे दृष्ट ग्रहो दृष्टिबली होय छे, नैसर्गिक बलमां शनि मंगल बुध गुरु शुक्र चंद्र सूर्य ए एक बीजाथी यथोत्तर बलवान् होय छे. बलिनः कण्टकस्था, वर्षाधिपमासदिवसहोरेशाः । द्विगुणशुभाशुभफलदा, यथोत्तरं ते परिज्ञेयाः ||६३५ || रूपं ग्रहस्य दिवसे, द्विगुणं वर्गे स्वकाल होरायाम् । त्रिगुणमरिवर्गयोगे, फलस्य प्रान्त्यस्तृतीयांशः ॥ ६३६ ॥ भा०टी० - बलवान् थह न्द्रमा रहेल वर्षपति, मासपति, दिवसपति अने होरापति से अक बीधी बमणु बमशुं शुभ अशुभ फल आपे छे अम जाणवुं, ग्रह पोताना व अक गणुं, पोताना वर्गमा बम अने पोतानी पोतानी कालहोरामः गणगणुं फल आपे छे, अने शत्रुना वर्गमा रहेलो ग्रह मात्र अकतृतीयांश जेटलं ज फल आपे छे. चंद्रबलनी श्रेष्ठताशशिबलमादौ कलप्यं, पश्चादितरग्रहबलं कर्तुः । बलयुक्ते हिमकिरणे, बलिनो भवन्ति निखिलखगाः ॥ ६३७॥ हिमकिरणबलमाधारं त्वाधेयंत्वन्यखेटजं वीर्यम् । आधार स्थान्यखिला- न्याधेयान्येव जृम्भन्ते ||६३८ || भा० टी० - प्रथम कर्ताना चन्द्रबलने कल्प, पछीथी बीजा ग्रहोना बलने जोवुं. चन्द्र बलवान होय तो सर्व ग्रहो बलवान् बने छे, केमके चन्द्रबल सर्वबलोनो आधार छे अने अन्य बलो आधेय छे. आधार मजबूत होय तो ज आधेयो वृद्धिगत थाय छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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