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[कल्याण कलिका-प्रथमखण्डे पलो समान होय अने तेमनी राशिओनो अंक राशिमंडलथी अर्ध भागनो अर्थात् ६ नो होय त्यारे ' व्यतीपात' नामक महापात उपजे छे. समान क्रान्तिना योगथी सूर्य चन्द्र बन्नेना किरणजालना परस्पर संघट्टनथी प्रवाहित थतो अग्निप्रवाह-जाणे के तेमना ते प्रका रना क्रोधथी ज प्रकटयो होय- लोकना अभावने माटे थाय छे, ता. त्पर्यार्थ ए छे के क्रान्तिसाम्यमां शुभ कार्य करवाथी करनारने अग्नि जन्य भयनो सामनो करवो पडे छे. एज वस्तुने रामदैवज्ञ दृष्टान्तद्वारा समजावे छ
पञ्चास्याजो गोमृगौ तौलिकुम्भौ, कन्यामीनौ कयली चापयुग्मे । तत्रान्योन्यं चन्द्रभान्वोर्निरुक्तं,
क्रान्तेः साम्यं नो शुभं मंगलेषु ॥३६८॥ भा०टी०-सिंह-मेष, वृषभ-मकर, तुला-कुम्भ, कन्यामीन, कर्क-वृश्चिक अने धनु-मिथुन आ छ राशियुग्मोमां सायन सूर्य चन्द्र आवे त्यारे १२ राशिमित अथवा ६ राशिमित महापात उपजे छ, सायन सूर्य चंद्र पैकीनो एक सिंह अने बीजो मेष उपर आवी समक्रान्तिमां आवे त्यारे ६ राशिपरिमित 'व्यतीपात' वृषभ-मकर राशिमा सायन-सूर्यचन्द्र होइ समक्रान्तिमा आवे त्यारे १२ राशिपरिमित 'वैधृत ' तुला-कुंभ उपर होय त्यारे 'व्यतीपात' कन्या मीन उपर वे होय त्यारे 'व्यतीपात' कर्क-वृश्चिक उपर होय त्यारे 'वैधृत' धनु-मिथुन उपर होय त्यारे पण · वैधृत' नामक 'महापात' उत्पन्न थाय छे. आ ने प्रकारचें क्रांतिसाम्य मंगलकार्यमां वर्जवं जोइये. आ क्रान्तिसाम्य नियत होतुं नधी, विवाह धृन्दावनना निर्मागकालमा ए महापात " ध्रुव " योगर्नु प्रथम चरण वीत्ये तेमज " ऐन्द्र " योगर्नु चतुर्थ चरण शेष रहेता
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