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( कल्याण- कलिका प्रथमखण्डे
कुन गुण दोपनो बीजाथी नारा यह शकतो नथी. चन्द्र बारमो के आठमो होय तो पण बलवान् पुष्य हंमेशां अमीष्टफल आपे छे. पुष्य जन्म, विपत् प्रत्यरि के ५ मा तारा रूप होय तोये विवाहने छोडी शेष सर्वकार्यंनो सिद्धि करनारो छे. हरिणगणमां जेम सिंह छे तेत्रोज नक्षत्र गणमां पुष्य बलवान् छे. आम स्वपराक्रमे सहित छतां पण दिव्य भौम आन्तरिक्ष उत्पातो वडे हणायेल पुष्य कार्य साधक शक्तिमान थतो नथो.
ज्योतिष तत्त्वकार पुष्यने अंगे लखे छेग्रहेण विद्धोप्यशुभान्वितोऽपि, विरुद्धतारोऽपि विलोमगोऽपि । करोति पुंसां सकलार्थसिद्धिं, विहाय पाणिग्रहणं हि पुष्यः ॥ २४५॥
भाटी - ग्रहवडे विद्ध होय, अशुभ ग्रहाक्रान्त होय, विरुद्ध तारात्मक होय, वक्रिग्रहाध्यासित होय तो पण पुष्य एक विवाह सिवाय मनुष्योना सर्वकार्यांनी सिद्धि करनाते छे.
वसिष्ठ पुष्यने अंगे यात्रा विषे कहे छेसर्वदिक्षु प्रशस्तोsपि, पुण्यः सर्वार्थसाधकः । प्रतीच्यां गमने त्याज्यः, सौख्यसंपदमिच्छता ॥ २४६ ॥ भा०दी - सर्व कार्य साधक पुष्य सर्व दिशाओना गमनमां शुभ होवा छतां सुख संपत्तिना इच्छुके पश्चिम दिशाना गमनमां एनो त्याग करवो ।
नक्षत्र पञ्चक -
नक्षत्र गणमां धनिष्ठादि पांच नक्षत्रो विषे प्राचीन ज्योतिपीओवांचकगणनुं खास ध्यान खंत्रे छे, आ पांच नक्षत्रो पैकीनां पूर्वाभाद्र पदा सिवायनां बधां शुभकार्य करवाने योग्य छे छतां अमुक कार्यों
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