SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 515
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४ [कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे प्रत्येकनक्षत्र विधेय कार्योयात्राभेषजभूषण-विद्याऽश्वेभाजशिल्पवस्त्राद्यम् । उत्सवमंगलकार्य, कर्त्तव्यं दस्रनक्षत्रे ॥१९॥ साहसदारुणशत्रु-प्रशमननिक्षेपकूपकृष्याद्यम् । विषवधवन्धनदहन-प्रहरणकार्याणि भरणीषु ॥१९॥ भग्निपरिग्रहसाहस-रिपुवधदहनास्त्रशस्त्रकर्माद्यम् । धातुर्वाद विधानं, विवादलोहाइमबहुलायाम् ॥१९२॥ भा०टी०-यात्रा. औषध, भूषण, विद्या, अश्वकर्म, गजकर्म, भजकर्म, शिल्प वस्त्रादि, उत्सवकार्य अने मांगलिक कार्य अश्विनीमां करवं. साहसकर्म, भयंकरकर्म, शत्रुने शान्त करवो, जमीनमा गाडवू, कूपखनन, कृषिकार्य, विषदान, वध, बन्धन, बालवू, प्रहरणकार्य इत्यादि उग्र कार्यों भरणीमां करवां, अग्निस्थापन, साहसकर्म. शत्रुषध, दहन, अस्त्र-शस्त्रकर्मादि, धातुक्रिया (रसायनसिद्धि), विवाद, लाहकर्म, पाषाणकर्म ए कामो कृत्तिकामां करवां. सुरनरसमाद्यखिलं, विवाहधनधान्यसंग्रहोपनयम् । उत्सवभूषणमङ्गल-मजभे कार्य सपौष्टिकं कर्म ॥१९३।। शान्तिकपौष्टिकशिल्प-व्रतकोद्वाह मंगलायखिलम् । सुरसंस्थापनवास्तु-क्षेत्रारम्भादि सिध्यते सौम्ये ॥१९४॥ पहरणदारुणबन्धन-विग्रहविषसंधिवनिकर्माद्यम् । छेदनदहनोचाटन-मारणकृत्यं च रौद्रभे कुर्यात् ॥१९५।। भाण्टी-देवालय, घर आदि सर्व, विवाह, धन्यधान्यसंग्रह, उपनयन, उत्सव, आभरण, मांगल्य अने पौष्टिक कार्य रोहिणी नक्षत्रमा करवा, शांतिक, पौष्टिक, शिल्पकर्म, व्रतकर्म, विवाह, मांगल्यादिक सर्व शुभकार्य, देवप्रतिष्ठा, वास्तुक्षेत्रारंभादि भगशिरमां सिद्ध थाय छे. आयुध कार्य, उग्रकार्य, बन्धन, लडाइ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy