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________________ [ कल्याण-कलिका प्रथम - खण्डे भा०टी० - लाक्षा रंग, कौसुंभ रंग अने माजिष्ठ रागनां कार्यों अने सुवर्णभूषणना कार्योंमा भोम तथा रविवार श्रेष्ठ छे अने लोहकामां शनिवार श्रेष्ठ छे. सोम बुध गुरु अने शुक्रवार सर्व कामोमां सिद्धिदायक थाय छे, ज्यारे रवि मंगल शनिवारना दिवसोमां विहित कार्य जसिद्ध थाय छे. ४१४ क्षीणेन्दुसरिकुजवक्रिदिने न शस्तं, शस्तं च कर्म यदि चोपचयस्थिताः स्युः । अस्तंगतस्य विकृतस्य च नेष्टमहि, सबै प्रशस्तमिह शेष दिनेश्वराणाम् ॥ १४१ ॥ भा०टी० - क्षीण चन्द्र होय त्यारे सोमवारे, शनि मंगल वक्री होय त्यारे शनि मंगलवारे विहित कार्य कर पण सारुं नथी, जो ए ग्रहो उपचयस्थित होय तो ज विहित कार्य पण कर, अस्त पामेल अने विकार पामेल ग्रहना द्वारे पण कार्य करवु श्रेष्ठ नथी, शेष ग्रहोना ( पूर्ण चन्द्र, मार्गी शनि मंगल, अविकृत अने उदित मंगल बुध, गुरु, शुक्र, शनिना) वारे कोइ पण कार्य कर सारुं छे, आ विषयमा वसिष्ठ कहे छे बलप्रदस्य ग्रहवासरे यचोदिष्टकार्य समुपैति सिडिम् । सुदुर्बलस्य ग्रहवासरे तत्, प्रयत्नपूर्व त्वपि नैव साध्यम् ||१४२ || भा०टी० - बल आपनार ग्रहना वारे आरंभेलुं कार्य सिद्धिने पामे छे, ज्यारे अतिनिर्बल ग्रहना वारे आरंभायेल कार्य प्रयत्न करवा छतां ये सिद्ध थतुं नथी. Jain Education International वारदोषो— जे वारो जे कार्यों करवाने योग्य जणाव्या छे ते वारोमां पण For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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