________________
[कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे पर्यन्त स्पर्श कर्यो अने द्वितीय नवमीना वार रविनो नवमीए १ घडी २६ पल पर्यन्त स्पर्श कर्यो, आ कारणथी आ त्रण वारो पैकीना वचला शनिवारनी नवमी वृद्धितिथि गणाइ.
एक वार ऋण तिथिओनो स्पर्श करे तेनुं उदाहरण:____ संवत् २०१०ना चण्ड मार्तण्डमां ज आषाढ (गुजराती जेठ) वदि २नो भय छ, वदि प्रतिपदाना दिवसे रविवार हे अने सूर्योदय उपरान्त १ घटी ५७ पल प्रतिपदा होवाथी रविवार तेनो स्पर्श करे हे ते पछी घटी ५७ पल ३५ सुधी रविवारमा द्वितिया भुक्त थइ छतां रविवारनो दिवस पूरो न थतां शेष भागमां तृतीया लागी, तृतीयानो आरंभ पण रविवारे ज थयो. आम एक रविवारे प्रतिपदा द्वितीया तथा तृतीयानो स्पर्श कर्यो तेथी वचली तिथि द्वितियानो क्षय थयो. प्रतिपदाना दिवसे १-५७ घटी पल पछी अवम लाग्यु अने ५७-३५ घटी पले समास थयुं, केटलाक ज्योतिपिओ वृद्धि प्रसंगे जीजा वारने स्पर्शती तिथिने वृद्ध गणे छे ते अशास्त्रीय छे. ए ज रीते क्षयतिथि तरीके पण त्रीजी तिथिने वर्जे छे ए पण शास्त्र विरुद्ध छे.
सूर्यदग्धा तिथिओ, प्रत्येक संक्रान्तिमां अमुक सम तिथि सूर्थ दग्धा होय छे.
मृर्यदग्धा तिथिओ जाणवानी उपाय दग्धामर्केण संक्रान्ती, राश्योरोजयुजोस्त्यजेत । भूत ५ दृग २ युक्तयोः शेषां, शोधिते भगणे तिथिम् ।।१०६॥ ___ भाण्टो-विषम अने सम राशिओनी संक्रांतिमां विषम राशिमां ५ अने सममां २नो अंक जोडतां जे संख्या थाय तेमांथी १२ ओछा करतां जे संख्या रहे तेटलामी तिथि ते संक्रांतिमा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org