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[कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे
'श्रुतदेवता-शान्तिदेवता-ब्राह्मशांति-क्षेत्रपाललक्षण'
१. श्रुतदेवताशुक्लवर्णा ।। इंसवाहना।। ४ हस्ता॥ वरद-अक्षमालायुक्त दक्षिणहस्तद्वया । पुस्तक-वीणायुतवामहस्तद्वया ॥
२. शान्तिदेवता
धवलवर्णा ।। कमलासना ॥ ४ हस्ता ॥ वरद-अक्षसूत्रयुतदक्षिणहस्तद्वया ॥ कुंडिका-कमंडलुयुत वामहस्तद्वया ।।
३. ब्रह्मशांतिपिंगवर्ण ॥ करालदंष्ट्रा ॥ जटामुकुटमंडित ।। पादुकारूढ ।। भद्रासनस्थ ॥ उपवीतालंकृतस्कंध ॥ ४ हस्त ॥ अक्षमत्रदण्डयुत दक्षिणहस्तयुगल ॥ कुंडिका-छत्रयुतवामहस्तद्वय ॥
४. क्षेत्रपाल
क्षेत्रानुरूपनाम धारक ॥ श्यामवर्ण ॥ बर्बरकेशी॥ आवृत्त (गोल) पिंगनयन ॥ विकृतदंष्ट्र ॥ पादुकाधिरूढ ॥ नग्नः ॥ कामचारी।। ६ हस्त ॥ मुद्गर-पाश-डमस्युतदक्षिणहस्तत्रय ॥ श्वान-अंकुश-गेडिका सहित वामहस्तत्रिक ॥
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