________________
Jain Education International
कनकाभा
| ९| गौरी | कनकाभा | गोधा १० गान्धारी | नीलवर्णा | कमल
--
जैनशासनदेव-लक्षणम् ]
-
| सर्वास्त्र- | धवलवर्णा | वराह महाज्वाला
४ वरद मुसल अक्षमाला कुवलय
कमल. ता. । ४ वरद मुसल अभय कुलिश
हस्ता (कमल.ता.) (अक्षमाला.ता.) (कुवल. ता.) असं-असंख्य महः खड्ग असंख्य प्रहरण ख्य रणयुत हस्ता परशुयुक्त | युतवाम हस्तां
| (द्विभुजा) दक्षिणकरा च. ता. | ४ | वरदपाश | अक्षसूत्र विटप
पादपती उरग
खेटक अहि (असि.ता.) बाण धनुः (खेटक) खेटक (असि) वन अक्षवलय अशनि
१२] मानवी
| श्यामवर्णा | कमल
-
For Private & Personal Use Only
| वेरोटया । | श्यामा
| अजगर
१४/ अच्छुसा | तडिद्वर्णा | तुरंग
cc c e c
१५] मानसी | धवला
१६] महामानसी धवला
REER
असि
कुंडिका
फलक
-
www.jainelibrary.org