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प्रासाद-लक्षणम् ] मागर्नु गोल आकार- सुलक्षण अंडक कर. ०॥ भागनी ग्रीवा अने ०॥ भागनी अर्कपट्टी करवी. लतिन प्रासादना कलशमां इनपत्रिका अर्धागनी करवी. ३ भागनुं बीजोरु (डाडलो) करवु, बीजपूरनो आकार विकाशी कमलना डोडा जेवो करवो, आम ऊंचाईना भागो कह्या हवे विस्तारना विषयमा सांभल ! पद्मपत्रं त्रिभिर्भाग-बिभागा कर्णिका वृता ॥४५८॥ पद्माग्रे पत्रि(हि)का चैव, चतुर्भागा च विस्तरे। षड्भागमण्डकं चैव, ग्रीवा मध्ये द्विभागिका ॥४५९॥ अर्कपट्टी चतुर्भागा, सार्धत्र्यंशा च पत्रि(हि)का। सार्धद्वयं बीजपूरं, निम्नाग्रे पद्मकाकृति ॥४६०॥ पद्मनिबन्धतिलकं, मुक्तरत्नां सुवृत्तकाम् । अर्केऽकंपटिकां कुर्यात्, पद्मपत्राऽग्र उन्नताम् ॥४६१॥
भाटी०-पद्मपत्रनो विस्तार ३ भागनो, कर्णिकानो २ भागनो, पद्मपत्र पछी पट्टिकानो विस्तार ४ भागनो, अंडक विस्तार ६ भागनो, ग्रीवा मध्यमां बे भागनी, अर्कपट्टी ४ भागनी, ३॥ भागनी पट्टिका अने २॥ भागनो बीजोरानो विस्तार करवो, बीजपूरनो आकार कमलना डोडाना जेवो करवो.
सूर्यना मंदिरे पद्मपत्रनी आगे ऊंची अर्कषट्टी गोल पमना तिलक जेवी रत्नजडित करवी.
ध्वज-दण्डध्वजाधरस्तंभिका च, कलशैश्च विभूषिता। वंशाधारा वज्रबन्धा, वंशानां वेष्टनादिकैः ॥४६२॥
भा०टी०-ध्वजाधार थांभली (दंड) कलशोवडे शोभित
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