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________________ १३४ [कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे न कर्तव्या ददरिका, पञ्च-सप्तमथोचिते। अनेनैव प्रकारेण, कुर्याद् गर्भगृहोच्छ्रयम् ॥२६७।। भा०टी०-हे अपराजित ! हवे गर्भगृहनी ऊंचाईचें बीजें मान कहुं छं ते सांभल, जेथी बृहत् प्रासादोना गर्भगृहनो उदय जाणी शकाय. ___ गर्भगृहना विस्तारने स्वषड्भाग युक्त करवाथी अथवा सवायो, दोढो, पोणबमणो करतां जे प्रमाण थाय तेटला प्रमाणनो उदय ज्येष्ठमध्यम-कनिष्ठ-प्रासादोना गर्भगृहनो जाणवो, अर्थात् ज्येष्ठ प्रासादोना गर्भ विस्तारथी तेनो उदय षडंश युक्त अथवा चतुर्थांश युक्त करवो, मध्यम मानना प्रासादोना गर्भ विस्तारथी तेओनो उदय दोढो करवो अने कनिष्ठ मानना प्रासादोना गर्भ विस्तारथी तेनो गर्भगृहोच्छ्य पोणबमणो करवो. उक्त गर्भोदयने ८ थी भांगी १ भागनी कुंभी, ४॥ भागनो थांभलो, १ भागनो थालक, १ भागनुं शरुं अने ०॥ भागनो पाट ऊंचो करवो, अने ते पछी पाटो उपर खूणिया नाखीने गर्भगृहना विस्तारना अर्ध भाग जेटली ऊंची जाय एवी रीते पद्मशिला ढांकी करोटक करवू, पण गर्भगृह उपर पांच सात के गमे तेटला थरनी पण दादरी न करवी, उक्त प्रकारे गर्भगृहनो उच्छ्य करवो. उंबरो-अपराजितपृच्छामांउदुम्बरं तथा वक्ष्ये, कुंभिकान्तसमुच्छ्यम् । तस्यार्धन त्रिभागेन, पादेन रहितं तथा ॥२६८॥ उक्तं चतुविधं शस्तं, कुर्याच्चैवमुदुम्बरम् । अत्युत्तमाश्च चत्वारो, न्यून्या दृष्या स्तथाधिकाः॥२६९।। भा०टी०-हवे उंबराने कहुं छु, उंबरानी ऊंचाई कुंभीना मथाळा सुधी, तेना अर्धभागे, बे तृतीयांशे अथवा पोणा भागे होय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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