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________________ ૧૨૭ प्रासाद-लक्षणम् ] वृद्धि करवी, अर्थात् १२-१२ आंगलनो हास करवो, ३० हाथना पासादनो उदय १८ हाथ अने ७ ऑगलनो करवो, त्रीस पछी ५० हाथ सुधीना विस्तारना प्रासादोमां प्रति हस्ते उदय ९-९ आंगलनो वधारवो, अर्थात् १५-१५ आंगलनो हास करवो, आम करतां ५० हाथना प्रासादनो उदय २५!! हाथनो थशे. उक्त उदयमानमा १९ आंगलनो उमेरो करवाथी २६ हाथ ७ आंगलनो उत्तमोदय थशे, नागर, लतिन, सांधार, मिश्रक, विमान. नागर अने विमानपुष्यक जातिना प्रासादोने उपर प्रमाणे उदय करवो, __ वास्तुशास्त्रना जाणकारोए आ उदय कुंभक थरना प्रारंभथी प्रहार थर पर्यन्तनो करवान का छे, केमके कुंभकने नीचे पीठ अने प्रहारने उपर शिवरनो उदय होय छे जे प्रासादना विस्तारनो जेटलो उदय होय त्यां सुधी ते प्रासादनी पहेली भूमिका जाणवी, उपरना शंगो अने कूटोनो उदय बाद करतां नीचेनुं मंडाण ‘मंडोवर'ना नामथी ओलखाय छे. त्रीजा प्रकारनो उदयएकादिपञ्चहस्तान्तं, पृथुत्वेनोदयः समः । हस्ते सूर्योगुला वृद्धिावत् त्रिंशत्करावधि ॥२४३॥ नवांगुला करे वृद्धिावस्तशतार्धकम् । पीठोकूँ उदयश्चैव, छाद्यान्तो नागरादिषु ॥२४४॥ भा०टी०-१ थी ५ हाथ पर्यन्त विस्तारना जेटलो उदय होय, ए पछी ३० हाथ सुधीना प्रासादोमा विस्तारना प्रतिहाथे उदयमां १२-१२ आंगलनी वृद्धि करवी, आ मत प्रमाणे ३० हाथना प्रासादे १७ हाथ १२ आंगलनो उदय थशे, ३१ थी ५० हाथ सुधी प्रतिहस्ते उदयमां ९-९ आंगलनी वृद्धि करवी, आम करतां ५० हाथना प्रासादनो उदय २५ हाथनो थशे, नागरादि प्रासादोनो उदय पीठ उपरथी छाजा पर्यन्तनो गणाय छे, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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