________________
[कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे भा०टी०-प्रासादने धारण करनारी खरशिला घणी जाडी अने विस्तारवाली करवी, इंट चूना अने जल वडे एने अत्यंत मजबूत बनाववी.
आ खरशिलानुं दल प्रासादना प्रमाणमां ओळुवतु जाडं करवू, सामान्य रीते १६ आंगलनी आडाईमां आ शिला करवी. पण प्रासाद बहुज न्हानो होय तो एथीये ओछी जाडी करवी, जेमके प्रासाद १ हाथनो होय तो खरशिला ६ आंगल जाडी करवी, पण ते पछी ५ हाथ पाछल १-१ आंगलनी वृद्धि करबी, अर्थात् २ हाथनो होय तो ७ आंगल, ३ हाथे ८ आंगल, ४ हाथे ९ आंगल अने ५ हाथे १० आंगल जेटली खरशिला जाडी करवी, ६ थी ९ हाथ सुधीना प्रासादनी खरशिलानी जाडाईमां हाथ प्रति अर्ध अर्ध आंगलनो वधारो करवो, १० थी २. हाथ सुधी पाव आंगलनी अने २१ थी ५० हाथ सुधीमां हाथ दीठ १-१ जवनी (शिलाना पिंडमां) वृद्धि करवी. आ प्रमाणे करतां ५० हाथना प्रासादनी खरशिला २० आंगल जाडी थशे. __ जगतीनी आसपासना प्रदेशनी भूमि जो नीची होय अने भविष्यमां जलभयनी संभावना होय तो जगती उपर मूलप्रासादना स्थाने प्रथम उपपीठ चणावq. ___ उपपीठनो विस्तार अने छन्द तो पीठना जेबोज कराववो, पण एनो उंचाईनो नियम नथो, जेटली आवश्यकता होय तेटली उंचाईमां करवी; उपपीठ होय तो तेनी उपर अने तेना अभावमां जगती उपर प्रासादना मूलस्थाने सूत्र छांटीने ९ अथवा ५, जेटली शिलाओ प्रतिष्ठित करवी होय तेटला खाडाओ प्रथमथी ज राखवा, निधिकलशो राखवा माटे खाडाओमां बीजा न्हाना खाडाओ राखवा, अथवा नीचे न्हाना खाडावाली उपशिलाओ गोठववी, शुभ मुहूर्त निधिकलशो अने शिलाओनी प्रतिष्ठा करीने उपपीठ अथवा जगती
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org