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________________ निर्वाणकालिकोक्तं ५५५ भास्नुमण्डलम् . चरण पर्जन्य जय माहेन्द्र रवि सत्यं मृत व्योम, पानका पूर्ण आप मरीचि मरीचि मरीचि मरीचि सविता आपकस मरीचि मरीचि साविक मुरम्य मल्लाट मोम | रोष | अदिनि दिति धरा लिलिपिच्छा पर धराधरधारापर वान विवस्वान् विवस्वान विवस्वान अर्यमा पर वितव सहकात यम | गन्धर्ष भृङ्ग नाग bubble besley H y Kay Mave A e ladke nahatai sare susta - जम्मा (२) गृहवास्तुमण्डलगृहवास्तुमा ८१ पदना वास्तुमंडलनी रचना करवी तेमां मध्यभागना ९ पदोमां 'ब्रह्मा' पूर्व, दक्षिण, पश्चिम अने उत्तर तरफना ६-६ पदोमां अनुक्रमे ' मरीचि, विवस्वान् , मित्र अने धराधर' आ ४ देवोनो आलेख करवो. ईशानादि ४ कोणगत १६ कोष्टकोमां आप अने आपवत्सादि ८ अभ्यन्तर देवो बे बे पदमां अने बाह्यप्राकारगत ३२ देवो बाह्यप्राकारगत ३२ पदोमां आलेखवा. वंश अने रज्जु आदि चतुःषष्टिपदमां जणाव्या प्रमाणे लखवा. मंडलबाह्यस्थ अनुचर देविओ पण पूर्वनी पेठेज 'लखवी. आ ८१ पदमंडलमा पूर्वाग्र उत्तराग्र १०-१० रेखाओ खेचीने ८१ विभागो पाडवा अने पदगत देवोने पूजवा. १ चतुःषष्टिपदवास्तुमंडल जुमो. २ पृष्ठ ६२ उपरनो एकाशीतिपदवास्तुमंडल जुमो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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