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[कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे -४१-४१॥-४२-४२॥-आंगळनी समचोरस बनाववी. आ शिलाओनी जाडाई लंबाई-पहोळाईना एकचतुर्थीश जेटली राखवी जोइये. शिलाओ उपरना चिन्हो__नन्दादि ८ शिलाओ उपर अनुक्रमे शक्ति, दण्ड, खड्ग, पाश, अंकुश, गदा, त्रिशूल अने वज्रना रूपको खोदवां अने कूर्मशिला उपर नीचे प्रमाणे ९ रूपको खोदवा. कूर्मशिलाना मध्यभागे कूर्म, अग्निकोणमा जलतरंग, दक्षिणमा मत्स्य, नैर्ऋत्यमां दर्दुर, पश्चिममा मकर, वायव्य मां ग्राह (ग्रासडो) उत्तरमा शंख, ईशानमां सर्प अने पूर्वदिशामां कलश. आप्रमाणे रूपको खोदीने शिलाने सुशोभित करवी. सामान्यरीते कलश, अंकुश, ध्वज, छत्र, चामर, मत्स्य, तोरण, दूर्वा, नाग, फल, मुकुट, पुष्प, स्वस्तिक, नंद्यावर्त, वेदिका, कूर्म, कमल, चन्द्र, वज्र अने प्राकार आदिना रूपको शिलाओ उपर होय तो हितकारक निवडे छे. ए उपरान्त मनुष्य, वृषभादि पशु. अने अश्व आदिना पदो वडे चिह्नित शिलाओ पण कल्याणनी वृद्धि करनारी होय छे. राक्षस, हरिण अने पक्षी आदिना पदचिन्होवाली शिलाओ अशुभ छे अने वास्तुनी पादप्रतिष्ठामां वर्जवी जोइये. शिलाओना नामोमां मतभेद
प्रतिष्ठाप्य शिलाओना नामोमां पण थोडोक मतभेद छे. चार शिलावादियोना मतमां शिलाओना नन्दा, भद्रा, जया अने पूर्णा ए नामो छ अने वासिष्ठी, काश्यपी, भार्गवी तथा आंगिरसी ए एना गोत्रो छे. पांचशिलावादियोना मतमां शिलाओना नामो नन्दा, भद्रा, जया, रिक्ता अने पूर्णा ए प्रमाणे छे, पण प्रतिष्ठाकल्पोमां चोथु नाम 'विजया' लखेलु मले छे.
अष्ट शिलापक्षमा शिलाओना नामो क्याइ उपलब्ध थयां नथी. रुतां संभवतः नन्दा, भद्रा, जया, पूर्णा, अजिता, अपराजिता,
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