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________________ ३४ [ कल्याण-कालका-प्रथमखडे वात तो निश्चित छ के गुजरात तरफना शिल्पिओ कूर्म उपर जे नामि मूकावे छे ते उक्तविधिमांना योगनालनु ज अनुकरण छे. उत्तरभारतनी शिल्पसंहिताओमां आ योगनालन विधान दृष्टिगोचर थतुं नथी. मारवाड तरफना शिल्पिओमां ए पद्धति प्रचलित पण नथी. अपवादरूपे गुजरातमा रही आवेला कोइ शिल्पिओ करावता होय तो ते वात जुदी छे. अमोए सेंकडो वर्षोंना प्राचीन प्रासादोना जीर्णोद्धारोना प्रसंगोमां आ योगनालो कहींथी नीकले छे के नहि एनी तपास करावी छतां कोइ पण प्राचीनदेवालयोना भूमिभागमां आ योगनाल अथवा एने मळती आवे एवी कोइ पण वस्तु नीकळी नथी. आ उपरथी निर्विवादपणे सिद्ध थाय छे के कूर्म उपर नाभि अथवा योगनाल मूकवानी पद्धति आ प्रदेश-गोदावरीथी उत्तर तरफना प्रदेशमाटे विहित न होवाथी चलाववी योग्य नथी एम अमो मानीये छीये। कूर्म प्रमाण एकहस्ते तु प्रासादे, कूर्मश्चार्धाङ्गुलः स्मृतः । अर्धवृद्धिः प्रकर्तव्या, पञ्चदशहस्तावधि ॥२०॥ द्वात्रिंशहस्तपर्यन्तं, पादवृद्धिः प्रकीर्तिता। तदर्धन पुनर्वृद्धि-ढिसप्ताङ्गुलः शताधके ॥२१॥ एतन्मानं मध्यमुक्तं, कनिष्ठं पादवर्जितम् । पादाधिकं भवे ज्येष्ठं, कूर्म मानं त्रिधोदितम् ॥२२॥ हैमो रौप्यश्च कर्तव्यः, सर्वपापप्रणाशनः । करोति य इमं कूर्म, स यज्ञफलमाप्नुयात् ॥२३॥ स्नानं पञ्चामृतं कार्य, कूर्मस्य तु यथाविधि । अर्चयित्वा प्रयत्नेन, सुधूपामोदपुष्पकैः ॥२४॥ तिलैर्यवैस्तथा होम, पूर्णाहुतिं प्रदापयेत् । निवेशयेत्ततः कूर्म, वेदवादित्रमङ्गलैः ॥२५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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