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आचारदिनकर (खण्ड-३) 50 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान छंद ___- “गोधासनसमासीना कुन्दकर्पूरनिर्मला।
- सहस्त्रपत्रसंयुक्तापाणिर्गौरी श्रियेस्तु नः।।" मंत्र - ॐ एँ नमः श्रीगौर्यै विद्यादेव्यै भगवति श्रीगौरि इह प्रतिष्ठा...... शेष पूर्ववत् बोलें ।'
गान्धारीदेवी की पूजा के लिए - छंद - "शतपत्रस्थितचरणामुसलं वज्रं च हस्तयोर्दधती।
कमनीयांजनकान्तिर्गान्धारी गां शुभां दद्यात् ।।" मंत्र - "ॐ गं गां नमः श्रीगान्धारि विद्यादेव्यै भगवति इह प्रतिष्ठा..... शेष पूर्ववत् बोलें ।"
महाज्वालादेवी की पूजा के लिए - छंद - “मार्जारवाहना नित्यं ज्वालोद्भासिकरद्वया।
शशांकधवला ज्वाला देवी भद्रं ददातु नः।।" मंत्र - “ॐ क्लीं नमः श्रीमहाज्वालायै वृषवाहना विद्यादेव्यै भगवति श्रीमहाज्वाले इह प्रतिष्ठा शेष पूर्ववत् बोलें।"
मानवीदेवी की पूजा के लिए - छंद - "नीलाङ्गीनीलसरोजवाहना वृक्षभासमानकरा।
मानवगणस्य सर्वस्य मंगलं मानवी दद्यात् ।।" मंत्र - "ॐ वचनमः श्रीमानव्यै विद्यादेव्यै भगवति श्रीमानवि इह प्रतिष्ठा...... शेष पूर्ववत् बोलें।"
वैरोट्यादेवी की पूजा के लिए - छंद - “खगस्फुरत्स्फुरितवीर्यवदूर्ध्वहस्ता सद्दन्दशूकवरदापरहस्तयुग्मा।
सिंहासनाब्जमुदतारतुषारगौरा वैरोट्ययाप्यभिधयास्तु शिवाय देवी।।" मंत्र - “ऊँ जं जः नमः श्रीवैरोट्यायै विद्यादेव्यै भगवति श्रीवैरोट्ये इह प्रतिष्ठा..... शेष पूर्ववत् बोलें।"
अछुप्तादेवी की पूजा के लिए - छंद - “सव्यपाणिधृतकार्मुकस्फरान्यस्फुरद्विशिखखगधारिणी।
विद्युदाभतनुरश्ववाहनाऽच्छुप्तिका भगवती ददातु शम् ।।"
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