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आचारदिनकर (खण्ड-३) 49 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान
उन्मत्तदन्तिगमना भुवनस्य विघ्नं वज्रांकुशी हरतु वज्रसमानशक्तिः ।। मंत्र ___ - "ॐ लँ लँ लँ नमः श्रीवज्रांकुशायै विद्यादेव्यै भगवति श्रीवज्रांकुशे इह प्रतिष्ठा..... शेष पूर्ववत् बोलें।"
अप्रतिचक्रादेवी की पूजा के लिए - छंद - "गरुत्मत्पृष्ठ आसीना कार्तस्वरसमच्छविः।
भूयादप्रतिचक्रा नः सिद्धये चक्रधारिणी।।" मंत्र - "ॐ नमः श्रीअप्रतिचक्रायै विद्यादेव्यै भगवति श्री अप्रतिचक्रे इह प्रतिष्ठा...... शेष पूर्ववत् बोलें।'
पुरुषदत्तादेवी की पूजा के लिए - छंद - "खगस्फरांकितकरद्वयशासमाना मेघाभसैरिभपटुस्थितिभासमाना।
- जात्यार्जुनप्रभतनुः पुरुषाग्रदत्ता भद्रं प्रयच्छतु सतां
पुरुषाग्रदत्ता।।" मंत्र - “ॐ हं सः नमः श्रीपुरुषदत्तायै विद्यादेव्यै भगवति श्रीपुरुषदत्ते इह प्रतिष्ठा..... शेष पूर्ववत् बोलें।" - कालीदेवी की पूजा के लिए - छंद - "शरदम्बुधरप्रमुक्तचंचद्गगनतलाभतनुश्रुतिर्दयाढ्या।
विकचकमलवाहना गदाभृत् कुशलमलंकुरुतात्सदैव काली। मंत्र - “ऊँ ह्रीं नमः श्रीकालिकायै विद्यादेव्यै भगवति श्रीकालिके इह प्रतिष्ठा.... शेष पूर्ववत् बोलें।"
महाकालीदेवी की पूजा के लिए - छंद - "नरवाहना शशधरोपलोज्वला रुचिराक्षसूत्रफलविस्फुरत्करा।
शुभघंटिकापविवरेण्यधारिणी भुवि कालिका शुभकरा महापरा।। मंत्र - “ऊँ हैं ये नमो महाकाल्यै विद्यादेव्यै भगवति श्रीमहाकालिके इह प्रतिष्ठा..... शेष पूर्ववत् बोलें ।'
गौरीदेवी की पूजा के लिए -
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