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आचारदिनकर (खण्ड- ३)
44 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक- पौष्टिककर्म विधान
मंत्र
“ॐ नमः श्री सिद्धार्थायै श्रीमदभिनन्दनस्वामिजनन्यै
भगवति श्री सिद्धार्थे इह प्रतिष्ठामहोत्सवे ..... शेष पूर्ववत् बोलें ।" सुमंगलामाता की पूजा के लिए
छंद
मंत्र
"कोशला कुशलं धात्री मेघप्रमददायिनी । सुमंगला मंगलानि कुरुताज्जिनपूजने । । " “ॐ नमः श्रीसुमंगलायै सुमतिस्वामिजनन्यै भगवति श्रीसुमंगले इह प्रति.... शेष पूर्ववत् बोलें।" सुसीमामाता की पूजा के लिए -
छंद
मंत्र
सुसीमे इह प्रति
छंद
पृथ्वीमाता की पूजा के लिए
" धरधाराधरे विद्युत्कोशाम्बीकुशलप्रदा । सुसीमा गतसीमानं प्रसादं यच्छतु ध्रुवम् ।। " “ॐ नमः श्री सुसीमायै श्रीपद्मप्रभस्वामिजनन्यै भगवति शेष पूर्ववत् बोलें।"
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“वाणारसीरसाधात्रीप्रतिष्ठे सुप्रतिष्ठिता ।
मंत्र
पृथ्वी पृथ्वीं मतिं कुर्यात् प्रतिष्ठादिषु कर्मसु ।। " “ॐ नमः श्री पृथ्व्यै श्री सुपार्श्वस्वामिजनन्यै भगवति श्री पृथ्वि इह प्रति..... शेष पूर्ववत् बोलें । " लक्ष्मणमाता की पूजा के लिए “देविचन्द्रपुरीवासे महसेननृपप्रिये ।
छंद
लक्ष्मणे लक्ष्मनिर्मुक्तं सज्ज्ञानं यच्छ साधुषु ।।" मंत्र “ॐ नमः श्री लक्ष्मणायै श्रीचन्द्रप्रभस्वामिजनन्यै भगवति लक्ष्मणे इह..... शेष पूर्ववत् बोलें।" रामामाता की पूजा के लिए
छंद
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मंत्र
रामे इह प्रति..... शेष पूर्ववत् बोलें ।" नन्दामाता की पूजा के लिए
छंद
"काकन्दीसुन्दरावासे सुग्रीव श्रीबलप्रदे । रामेऽभिरामां मे बुद्धिं चिदानन्दे प्रदीयताम् ।। " “ॐ नमः श्री रामायै श्री सुविधिस्वामिजनन्यै भगवति
“भद्रिलाभद्रशमने श्रीमद्दढरथप्रिये । नन्दे मे परमानन्दं प्रयच्छ जिनपूजने । । "
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