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आचारदिनकर (खण्ड- -3)
45 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक- पौष्टिककर्म विधान
मंत्र
ॐ नमः श्रीनन्दायै शीतल स्वामिजनन्यै भगवति श्री नन्दे इह प्रतिष्ठा....... शेष पूर्ववत बोलें ।" विष्णुमाता की पूजा के लिए -
छंद
मंत्र
"कृतसिंहपुरावासा विष्णुर्विष्णुहृदि स्थिता । वेवेष्टु भविनां चित्तमहानन्दाध्वसिद्धये ।।" "ॐ नमः श्री विष्णवे श्री श्रेयांसस्वामिजनन्यै भगवति श्रीविष्णो इह प्रतिष्टा.... शेष पूर्ववत बोलें । " जयामाता की पूजा के लिए “चंपानिष्कम्पताकृत्ये वसुपूज्यप्रमोददे । जये जयं षडंगस्यारिषड्वर्गस्य दीयताम् ।। "
छंद
मंत्र
“ॐ नमः श्री जयायै वासुपूज्यस्वामिजनन्यै भगवति जये इह प्रतिष्ठा..... शेष पूर्ववत् बोलें ।" श्यामामाता की पूजा के लिए “कांपीलपुरसंवासा कृतवर्मकृतादरा ।
छंद
मंत्र
श्यामा क्षामां विदध्यान्मे मतिं दुष्टत्वशालिनीम्।।“ “ॐ नमः श्री श्यामायै श्रीविमलस्वामिजनन्यै भगवति श्री श्यामे इह प्रतिष्ठा... शेष पूर्ववत् बोलें।" सुयशामाता की पूजा के लिए -
छंद
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“सिंहसेनेशितुः कान्तायोध्याबोधप्रदायिनी । सुयशा यशसे भूयाद्विमलायाचलाय च।।" मंत्र “ॐ नमः श्री सुयशसे श्रीमदनन्तस्वामिजनन्यै भगवति श्री सुयशः इह प्रतिष्ठा.. शेष पूर्ववत् बोलें।" सुव्रतामाता की पूजा के लिए
छंद
" श्री मद्रत्नपुरावासा भानुदेवहृदि प्रिया । सुव्रता सुव्रते बुद्धिं करोतु परमेश्वरी ।।"
मंत्र
"ॐ नमः श्री सुव्रतायै श्रीधर्मस्वामिजनन्यै भगवति सुव्रते इह प्रतिष्ठा... शेष पूर्ववत् बोलें।" अचिरामाता की पूजा के लिए -
छंद
" हस्तिनापुरसंस्थायै दयामयपरमात्मने ।
प्रियायै विश्वसेनस्य अचिरायै चिरं नमः ।।"
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