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आचारदिनकर (खण्ड-३) 37 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान नमो भृकुटये स्वाहा २२. ॐ नमो गोमेधाय स्वाहा २३. ऊँ नमः पार्वाय स्वाहा २४. ऊँ नमो मातंगाय स्वाहा।
पुनः बाहर की तरफ एक परिधि बनाएं और उसमें चौबीस पंखुड़ी बनाकर अनुक्रम से निम्न मंत्रपूर्वक वर्तमान चौबीस तीर्थंकरों की यक्षिणियों की स्थापना करें -
१. ॐ नमश्चक्रेश्वर्यै स्वाहा २. ऊँ नमोऽजितबलायै स्वाहा ३. ऊँ नमो दुरितारये स्वाहा ४. ऊँ नमः कालिकायै स्वाहा ५. ऊँ नमो महाकालिकायै स्वाहा ६. ऊँ नमः श्यामायै स्वाहा ७. ऊँ नमः शान्तायै स्वाहा ८. ऊँ नमो भृकुटये स्वाहा ६. ऊँ नमः सुतारिकायै स्वाहा १०. ॐ नमोऽशोकायै स्वाहा ११. ॐ नमो मानव्यै स्वाहा १२. ॐ नमः नमश्चण्डायै स्वाहा १३. ऊँ नमो विदितायै स्वाहा १४. ऊँ नमः अंकुशायै स्वाहा १५. ऊँ नमो कन्दर्पायै स्वाहा १६. ॐ नमो निर्वाण्यै स्वाहा १७. ऊँ नमो बलायै स्वाहा १८. ऊँ नमो धारिण्यै स्वाहा १६. ऊँ नमो धरणप्रियायै स्वाहा २०. ऊँ नमो नरदत्तायै स्वाहा २१. ऊँ नमो गान्धायै स्वाहा २२. ऊँ नमोम्बिकायै स्वाहा २३. ऊँ नमः पद्मावत्यै स्वाहा २४. ऊँ नमः सिद्धायिकायै स्वाहा।
तत्पश्चात् बाहर की तरफ परिधि बनाएं। उसमें दस पंखुड़ियाँ बनाकर निम्न मंत्रपूर्वक क्रमशः दस दिक्पालों की स्थापना करें -
१. ॐ नमः इन्द्राय स्वाहा २. ऊँ नमः अग्नये स्वाहा ३. ऊँ नमो नागेभ्य स्वाहा ४. ऊँ नमः यमाय स्वाहा ५. ऊँ नमः नैर्ऋतये स्वाहा ६. ऊँ नमो वरुणाय स्वाहा ७. ऊँ नमो वायवे स्वाहा ८. ऊँ नमः कुबेराय स्वाहा ६. ऊँ नमः ईशानाय स्वाहा १०. ऊँ नमो ब्रह्मणे स्वाहा।
पुनः उसके ऊपर परिधि बनाएं। उसमें दस पंखुड़ियाँ बनाकर निम्न मंत्रपूर्वक क्रमशः नवग्रहसहित क्षेत्रपाल की स्थापना करें -
१. ऊँ नमः सूर्याय स्वाहा २. ॐ नमश्चन्द्राय स्वाहा ३. ॐ नमो भौमाय स्वाहा ४. ऊँ नमो बुधाय स्वाहा ५. ऊँ नमो गुरवे स्वाहा ६. ॐ नमः शुक्राय स्वाहा ७. ॐ नमः शनैश्चराय स्वाहा
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