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आचारदिनकर (खण्ड-३) 35 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान श्वेताय स्वाहा ५०. ऊँ नमो महाश्वेताय स्वाहा ५१. ऊँ नमः पतंगाय स्वाहा ५२. ऊँ नमः पतंगरतये स्वाहा ५३. ऊँ नमः सूर्याय स्वाहा ५४. ॐ नमश्चन्द्राय स्वाहा ५५. ऊँ नमः सौधर्मेन्द्राय स्वाहा ५६. ऊँ नमः ईशानेन्द्राय स्वाहा ५७. ऊँ नमः सनत्कुमारेन्द्राय स्वाहा ५८. ऊँ नमो माहेन्द्राय स्वाहा ५६. ऊँ नमो ब्रह्मेन्द्राय स्वाहा ६०. ऊँ नमो लान्तकेन्द्राय स्वाहा ६१. ॐ नमः शुक्रेन्द्राय स्वाहा ६२. ऊँ नमः सहस्त्रारेन्द्राय स्वाहा ६३. ऊँ नमः आनतप्राणतेन्द्राय स्वाहा ६४. ऊँ नमः आरणाच्युतेन्द्राय स्वाहा।
पुनः बाहर की तरफ एक परिधि बनाएं और उसमें चौसठ पंखुड़ी बनाकर अनुक्रम से निम्न मंत्रपूर्वक चौसठ इन्द्राणियों की स्थापना करें -
१. ॐ नमश्चमरदेवीभ्यः स्वाहा २. ऊँ नमः बलिदेवीभ्यः स्वाहा ३. ऊँ नमः धरणदेवीभ्यः स्वाहा ४. ऊँ नमः भूतानन्ददेवीभ्यः स्वाहा ५. ऊँ नमः वेणुदेवदेवीभ्यः स्वाहा ६. ऊँ नमः वेणुदारिदेवीभ्यः स्वाहा ७. ऊँ नमः हरिकान्तदेवीभ्यः स्वाहा ८. ऊँ नमः हरिसहदेवीभ्यः स्वाहा ६. ऊँ नमोऽग्निशिखदेवीभ्यः स्वाहा १०. ऊँ नमोऽग्निमानवदेवीभ्यः स्वाहा ११. ॐ नमः पूर्णदेवीभ्यः स्वाहा १२. ऊँ नमो वशिष्ठदेवीभ्यः स्वाहा १३. ऊँ नमो जलकान्तदेवीभ्यः स्वाहा १४. ऊँ नमः जलप्रभदेवीभ्यः स्वाहा १५. ॐ नमोऽमितगतिदेवीभ्यः स्वाहा १६. ऊँ नमोऽमितवाहनदेवीभ्यः स्वाहा १७. ऊँ नमो वेलम्बदेवीभ्यः स्वाहा १८. ऊँ नमो प्रभंजनदेवीभ्यः स्वाहा १६. ऊँ नमो घोषदेवीभ्यः स्वाहा । २०. ऊँ नमः महाघोषदेवीभ्यः स्वाहा २१. ऊँ नमः कालदेवीभ्यः स्वाहा २२. ॐ नमः महाकालदेवीभ्यः स्वाहा २३. ऊँ नमः सुरूपदेवीभ्यः स्वाहा २४. ऊँ नमः प्रतिरूपदेवीभ्यः स्वाहा २५. ऊँ नमः पूर्णभद्रदेवीभ्यः स्वाहा २६. ऊँ नमः मणिभद्रदेवीभ्यः स्वाहा २७. ॐ नमो भीमदेवीभ्यः स्वाहा २८. ऊँ नमो महाभीमदेवीभ्यः स्वाहा २६. ऊँ नमः किंनरदेवीभ्यः स्वाहा ३०. ऊँ नमः किंपुरुषदेवीभ्यः स्वाहा ३१. ॐ नमः सत्पुरुषदेवीभ्यः स्वाहा ३२. ऊँ नमः महापुरुषदेवीभ्यः स्वाहा ३३. ऊँ नमोऽहिकायदेवीभ्यः स्वाहा ३४. ऊँ नमः महाकायदेवीभ्यः
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