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आचारदिनकर (खण्ड-३) 33 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान पृथ्व्यै स्वाहा ८. ऊँ नमो लक्ष्मणायै स्वाहा ६. ऊँ नमो रामायै स्वाहा १०. ऊँ नमो नन्दायै स्वाहा ११. ऊँ नमो विष्णवे स्वाहा १२. ऊँ नमो जयायै स्वाहा १३. ऊँ नमः श्यामायै स्वाहा १४. ऊँ नमः सुयशसे स्वाहा १५. ऊँ नमः सुव्रतायै स्वाहा १६. ऊँ नमोऽचिरायै स्वाहा १७. ऊँ नमः श्रियै स्वाहा १८. ऊँ नमो देव्यै स्वाहा १६. ऊँ नमः प्रभावत्यै स्वाहा २०. ऊँ नमः पद्मावत्यै स्वाहा २१. ऊँ नमो वप्रायै स्वाहा २२. ऊँ नमः शिवायै स्वाहा २३. ऊँ नमो वामायै स्वाहा २४. ॐ नमः त्रिशलयै स्वाहा।
तत्पश्चात् पुनः एक परिधि मण्डलाकार बनाएं। उसमें सोलह पंखुड़ियों की रचना करें तथा उसमें निम्न मंत्रपूर्वक सोलह विद्यादेवियों की स्थापना करें -
१. ऊँ नमो रोहिण्यै स्वाहा २. ऊँ नमः प्रज्ञप्त्यै स्वाहा ३. ऊँ नमो वज्रश्रृंखलायै स्वाहा ४. ऊँ नमो वज्रांकुश्यै स्वाहा ५. ऊँ नमोऽप्रतिचक्रायै स्वाहा ६. ऊँ नमः पुरुषदत्तायै स्वाहा ७. ऊँ नमः काल्यै स्वाहा ८. ऊँ नमो महाकाल्यै स्वाहा ६. ऊँ नमो गौर्यै स्वाहा १०. ऊँ नमो गन्धायै स्वाहा ११. ऊँ नमो महाज्वालायै स्वाहा १२. ऊँ नमो मानव्यै स्वाहा १३. ऊँ नमोऽछुप्तायै स्वाहा १४. ऊँ नमो वैरोट्यायै स्वाहा १५. ऊँ नमो मानस्यै स्वाहा १६. ॐ नमो महामानस्यै स्वाहा।
उसके बाद पुनः बाहर की तरफ परिधि बनाकर चौबीस पंखुडियाँ बनाएं, उन पंखुड़ियों में निम्न मंत्रानुसार क्रमशः चौबीस भवनवासी लोकान्तिकादि देवों की स्थापना करें -
१. ऊँ नमः सारस्वतेभ्यः स्वाहा २. ऊँ नमः आदित्येभ्यः स्वाहा ३. ॐ नमः वह्निभ्यः स्वाहा . ४. ऊँ नमः वरुणेभ्यः स्वाहा ५. ऊँ नमः गईतोयेभ्यः स्वाहा ६. ऊँ नमस्तुषितेभ्यः स्वाहा ७. ॐ नमोऽव्याबाधितेभ्यः स्वाहा ८. ऊँ नमोरिष्टेभ्यः स्वाहा ६. ऊँ नमोग्न्यायेभ्यः स्वाहा १०. ऊँ नमः सूर्यायेभ्यः स्वाहा ११. ॐ नमश्चन्द्रायेभ्यः स्वाहा १२. ऊँ नमः सत्यायेभ्यः स्वाहा १३. ऊँ नमः श्रेयस्करेभ्यः स्वाहा १४. ऊँ नमः क्षेमंकरेभ्यः स्वाहा १५. ऊँ नमः वृषभेभ्यः स्वाहा १६. ॐ नमः कामचारेभ्यः स्वाहा १७. ऊँ नमः
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