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________________ आचारदिनकर (खण्ड-३) 20 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान १. शतावरी २. सहदेवी ३. शिरा ४. जीवा ५. पुनर्नवा ६. मयूरक ७. कुष्ट ८. वच - इनकों सहस्रमूल कहते हैं। कुछ लोग हजारों वृक्षों के मूलों को संगृहीत कर बनाए जाने वाले मिश्रण को सहनमूल कहते हैं। - इस प्रकार यह सहनमूल वर्ग बताया गया आर्हत् मत में निम्न पंचामृत बताए गए हैं - १. दही २. दूध ३. घी ४. इक्षुरस एवं ५. जल । वेदिका हेतु घट लाने के समय, तीर्थजल लाने के समय, वेदिका की स्थापना के समय एवं औषधियों को तैयार करते समय सभी स्थानों पर गीत, नृत्य, वादिंत्र के साथ-साथ महोत्सव करें - यह प्रतिष्ठा-विधि सम्बन्धी सामग्री बताई गई है। पूर्व में श्रीचन्द्रसूरि द्वारा प्रतिष्ठा-विधि बताई गई है, वह संक्षिप्त है। उसे विस्तीर्ण रूप से जानने के लिए यहाँ उसका विस्तारपूर्वक कथन किया गया है। प्रतिष्ठा करवाने वाले के घर में सर्वप्रथम शान्तिक एवं पौष्टिक-कर्म करना चाहिए। श्रीचन्द्रसूरि द्वारा प्रणीत प्रतिष्ठा-युक्ति (विधि) महाप्रतिष्ठाकल्प की अपेक्षा लघुतर है, इसलिए यहाँ आर्यनन्दि, क्षपकचन्द्र नन्दि, इन्द्रनन्दि, वज्रस्वामी द्वारा प्रणीत प्रतिष्ठाकल्प के आधार पर इसका विस्तारपूर्वक उल्लेख किया गया है। पूजा हेतु लाए जाने वाले लघुबिम्ब को ऊपर कहे गए अनुसार शुद्धि-संस्कार करके चैत्यगृह में लाएं। तत्पश्चात् स्थिरबिम्ब को पंचरत्न तथा कुम्भकार के चक्र की मृत्तिकासहित स्थापित करें। चलबिम्ब के नीचे पवित्र नदी की बालू एवं मूलसहित एक बालिश्त (फैलाए हुए हाथ के अंगूठे के सिरे से कनिष्ठिका तक की दूरी) मात्र दर्भ रखकर स्थापित करें। पूर्व में जिन-जिन जलाशयों से महोत्सवपूर्वक जल लाने के लिए कहा गया है। उन-उन जलाशयों की गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य एवं बलि के साथ मंत्रपूर्वक पूजन करें, तत्पश्चात् वहां से जल लाएं। जलाशयों के पूजन का मंत्र यह है - “ॐ वं वं वं नमो वरुणाय पाशहस्ताय सकलयादोधीशाय सकलजलाध्यक्षाय समुद्रनिलयाय सकलसमुद्रनदीसरोवरपर्वतनिझर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001720
Book TitlePratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size16 MB
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