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आचारदिनकर (खण्ड-३) 18 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान और कुछ त्याज्य हो सकते हैं। चारों प्रकार के अन्न, वस्त्र, मणिरत्न, अश्व, गाय आदि एवं घृत, तेल, गुड़ तथा स्वर्ण आदि धातुएँ - ये सब रत्न और वस्तुएँ क्रियाणकों में सम्मिलित नहीं है, किन्तु कुछ आचार्य सभी को क्रियाणक मानते हैं। (जिसका भी क्रय-विक्रय हो सकता है, वह सब क्रियाणक है - इस अपेक्षा से कुछ आचार्यों की उपर्युक्त मान्यता है।) १. प्लक्ष २. उदुम्बर ३. पिप्पल ४. शिरीष ५. न्यग्रोध ६. अर्जुन ७. अशोक ८. आमलक ६. जंघ्राम १०. . . . ११. श्रीपर्णी १२. खदिर १३. वेतस - इन वृक्षों की छाल समान मात्रा में लाएं।
१. सहदेवी २. बला ३. शतमूलिका ४. शतावरी ५. कुमारी ६. गुहा ७. सिंही ८. व्याघ्री - इस प्रकार प्रथम सदौषधि वर्ग की औषधि लाएं।
१. मयूरशिखा २. विरहक ३. अंकोल्ल ४. लक्ष्मणा ५. शंखपुष्पी ६. विष्णुक्रान्ता ७. चक्रांका ८. सर्पाक्षी ६. महानीली - इस प्रकार द्वितीय पवित्र मूलिकावर्ग की मूलिकाएँ लाएं।
१. कुष्ट २. प्रियंगु ३. वचा ४. लोध्र ५. उशीर ६. देवदारु ७. मूर्वा ८. मधुयष्टिका ६. ऋद्धि १०. वृद्धि - इस प्रकार प्रथम अष्टकवर्ग की यह सामग्री लाएं।
१. मेद २. महामेद ३. कंकोल ४. क्षीरकंकोल ५. जीवक ६. ऋषभक ७. नखी ८. महानखी - इस प्रकार द्वितीय अष्टकवर्ग की यह सामग्री लाएं।
१. हरिद्रा २. वचा ३. शेफा ४. वालक ५. मोथ ६. ग्रंथिपर्णक ७. प्रियंगु ८. मुरा ६. वास १०. कचूर ११. कुष्ट १२. एला १३. तज १४. तमालपत्र १५. नागकेसर १६. लवंग १७. कक्कोल १८. जायफल १६. जातिपत्रिका २०. नख २१. चंदन २२. सिल्हक २३. वीरण २४. शोभांजनमूल २५. ब्राह्मी २६. शैलेय २७. चंपकफल - इस प्रकार सर्वौषधि प्रथमवर्ग की यह सामग्री लाएं।
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