SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आचारदिनकर (खण्ड-३) 217 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान एवं पीत वस्त्र का दान करें। शुक्र की शान्ति के लिए पंचगव्य का हवन करें तथा श्वेत रत्न एवं श्वेत गाय का दान करें। शनि की शान्ति के लिए तिल एवं घी का हवन करें तथा काली गाय, बैल एवं नीलमणि का दान करें। राहु की शान्ति के लिए तिल एवं घी का हवन करें तथा भेड़ एवं शास्त्रादि का दान करें। केतु की शान्ति के लिए तिल एवं घी का हवन करें तथा ऊन एवं लोहे का दान करें। नवग्रहों का हवनकुण्ड त्रिकोण होता है। तत्पश्चात् निम्न मंत्र से ग्रहों की सामूहिक पूजा करें - “ॐ नमः सूर्यसोमांगारकबुधबृहस्पतिशुक्रशनैश्चरराहुकेतुभ्यो ग्रहेभ्यः सर्वग्रहाः सायुधाः सवाहनाः सपरिच्छदाः इह ग्रहशान्तिके आगच्छन्तु-आगच्छन्तु इदमयं. आचमनीयं गृह्णन्तु-गृह्णन्तु सन्निहिता भवन्तु-भवन्तु स्वाहा जलं गृह्णन्तु-गृहणन्तु गन्धं अक्षतान् फलानि मुद्रां पुष्पं धूपं दीपं नैवेद्यं सर्वोपचारान् गृहणन्तु-गृहणन्तु शान्तिं कुर्वन्तु-कुर्वन्तु तुष्टिं पुष्टिं ऋद्धिं वृद्धिं कुर्वन्तु-कुर्वन्तु सर्व समीहितानि यच्छन्तु-यच्छन्तु स्वाहा। बालावबोध के लिए देशभाषा के अनुसार प्रकारान्तर से ग्रहों की पूजा-विधि निम्न प्रकार से भी बताई गई है। रविग्रह की पूजा के लिए - श्री आदिनाथ परमात्मा के आगे कुंकुम एवं चन्दन से रविबिम्ब का आलेखन करें। बिम्ब की पट्टलिका पर ६ थाली में ६ सुपारी, ६ पत्ते, ६ नारियल, १ काचाकपूरवालु, ६ सकोरे नैवेद्य लापसी, १ पीतवर्ण कपड़ा, १ द्रामु पहिरावणी, ६ लोहडिया (?) रखें तथा तिल, यव एवं घी से हवन करें। चन्द्रग्रह की पूजा के लिए - चंद्रप्रभु भगवान् के आगे चन्दन से चन्द्रबिम्ब का आलेखन करें तथा बिम्ब की पट्टलिका पर ६ थाली में € पत्ते, ६ सुपारी, १ बिजौरा, १ काचाकपूरवालु, ६ सकोरे नैवेद्य, १ पहिरावणीजादरू खण्डु (श्वेतवस्त्र), १ द्रामु, २ लोहड़िया रखें एवं हवन करें। मंगलग्रह की पूजा के लिए - कुंकुम से मंगल ग्रह का आलेखन करें। ६ थाली में ६ पत्ते, € सुपारी, १ नारंगी, १ काचाकपूरवालु, १ नैवेद्य लाडू सत्कचूरि एवं लालवस्त्र, १ पहिरावणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001720
Book TitlePratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy