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________________ आचारदिनकर (खण्ड-३) 91 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान भृकुटि यक्षिणी की पूजा के लिए - छंद - “पीता बिडालगमना भृकुटिश्चतुर्दोर्वामे च हस्तयुगले फलकं सुपरशुम्। तत्रैव दक्षिणकरेऽप्यसिमुद्गरौ च बिभ्रत्यनन्यहृदयान् परिपातु देवी।। मंत्र - “ॐ नमः श्रीभृकुटये श्रीचंद्रप्रभस्वामिशासनदेव्यै श्रीभृकुटे सायुधा सवाहना ....शेष पूर्ववत्।" सुतारका यक्षिणी की पूजा के लिए - छंद - "वृषभगतिरथोद्यच्चारुबाहाचतुष्का शशधरकिरणाभा दक्षिणे हस्तयुग्मे। वरदरसजमाले बिभ्रती चैव वामे सृणिकलशमनोज्ञा स्तात् सुतारा महद्धर्यै ।।" मंत्र - "ऊँ नमः श्रीसुतारायै श्रीसुविधिजिनशासनदेव्यै श्रीसुतारे सायुधा सवाहना ..... शेष पूर्ववत् ।' अशोका यक्षिणी की पूजा के लिए - छंद - “नीला पद्मकृतासना वरभुजैर्वेदप्रमाणैर्युता पाशं सद्वरदं च दक्षिणकरे हस्तद्वये बिभ्रती। वामे चाकुशवह्मणी बहुगुणाऽशोका विशोका जनं कुर्यादप्सरसां गणैः परिवृता नृत्यद्विरानन्दितैः।।" मंत्र - “ॐ नमः श्रीअशोकायै श्रीशीतलनाथशासनदेव्यै श्रीअशोके सायुधा सवाहना .....शेष पूर्ववत्।" मानवी यक्षिणी की पूजा के लिए - छंद . - "श्रीवत्साप्यथ मानवी शशिनिभा मातङ्गजिद्वाहना वामं हस्तयुगं तटाङ्कुशयुतं तस्मात्परं दक्षिणम्। गाढ़ स्फूर्जितमुद्गरेण वरदेनालंकृतं बिभ्रती पूजायां सकलं निहन्तु कलुषं विश्वत्रयस्वामिनः ।।" मंत्र - “ॐ नमः श्रीमानव्यै श्रीश्रेयांसजिनशासनदेव्यै श्रीमानवि सायुधा सवाहना ..... शेष पूर्ववत् । चण्डा यक्षिणी की पूजा के लिए - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001720
Book TitlePratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size16 MB
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