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________________ आचारदिनकर (खण्ड-३) , 68 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान महाश्वेत इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - “वलक्षं स्वदेहं वसनमपि बिभ्रद्ध्वजपटप्रतिक्रीडच्चक्रोन्मथितरिपुसंघातपृतनः। . लसल्लीलाहेलादलितभविकापायनिचयो महाश्वेतस्त्राता भवतु जिनपूजोत्सुकधियाम् ।। मंत्र - “ॐ नमः श्रीमहाश्वेताय कूष्माण्डव्यन्तरेन्द्राय श्रीमहाश्वेत सायुधः सवाहनः..... शेष पूर्ववत् ।। पतंग इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - “विमलविद्रुमविभ्रमभृत्तनुर्धवलवस्त्रसमर्पितमङ्गलः। वरमरालमनोहरकेतनः पतंगराट् परिरक्षतु सेवकान् ।। मंत्र - “ॐ नमः श्रीपतंगाय पतंगव्यन्तरेन्द्राय श्रीपतंग सायुधः सवाहनः..... शेष पूर्ववत् । पतंगरति इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - “पतंगरतिरवाप्तपद्मरागच्छविरतिशुभ्रसिचाविचार्यशोभः। प्रगुणितजनसंसहंसकेतुः किसलयतां कुशलानि सर्वकालम् ।।' (पुष्पिताग्रा) मंत्र - “ॐ नमः श्रीपतंगरतये पतंगव्यन्तरेन्द्राय श्रीपतंगरते सायुधः सवाहनः..... शेष पूर्ववत्।" सूर्य इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - “सप्ताश्वप्रचलरथप्रतिष्ठताङ्ग धृतहरिकेतन इष्टपद्मचक्रः। सकलवृषविधानकर्मसाक्षी दिवसपतिर्दिशतात्तमोविनाशम्।। (उपच्छन्दसिक) मंत्र - “ॐ नमः श्रीसूर्याय ज्योतिष्केन्द्राय श्रीसूर्य सायुधः सवाहनः..... शेष पूर्ववत्।" चन्द्र इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - “अमृतमयशरीरविश्वपुष्टिप्रदकुमुदाकरदत्तबोधनित्यम्। परिकरितसमस्तधिष्ण्यचक्रैः शशधर धारय मानसप्रसादम्।।“ (पुष्पिताग्रा) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001720
Book TitlePratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size16 MB
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