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________________ आचारदिनकर (खण्ड-३) 66 ऋषि इन्द्र की पूजा के लिए “चन्द्रकान्तकमनीयविग्रहः सांध्यरागसममम्बरं वहन् । कुम्भविस्फुरितशालिकेतनो भूरिमङ्गलमृषिः प्रयच्छतु ।।“ छंद ( रथोद्धता) मंत्र छंद हृत्संवरः । "ॐ नमः श्रीऋषये ऋषिपातव्यन्तरेन्द्राय श्रीऋषे सायुधः सवाहनः..... शेष पूर्ववत् । " ऋषिपाल इन्द्र की पूजा के लिए - “कृतकलधौतशङ्खाब्धिफेनेश्वरस्मितसमश्लोकगुणवृन्द ऋषिपालदेवेश्वरः ।। " ( श्रीचन्द्रानन) “ऊँ नमः छंद ( स्वागता) मंत्र प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक- पौष्टिककर्म विधान - - मंत्र श्रीऋषिपाल सायुधः सवाहनः .. ईश्वर इन्द्र की पूजा के लिए - साधुबन्धूकबन्धुप्रकृष्टाम्बरः कुम्भकेतुः स श्रीऋषिपालाय ऋषिपातिव्यन्तरेन्द्राय शेष पूर्ववत् । " “ॐ नमः श्रीईश्वराय भूतवादिव्यन्तरेन्द्राय श्रीईश्वर सायुधः सवाहनः..... शेष पूर्ववत् । " महेश्वर इन्द्र की पूजा के लिए - - छंद - ददातु।।“ (उपजाति) मंत्र “शङ्खकुन्दकलिकाभतनुश्रीः क्षीरनीरनिधिनिर्मलवासाः। उक्षरक्षितमहाध्वजमाली संप्रयच्छतु स ईश्वर ईशः । । " Jain Education International “महेश्वरः शक्तुरशोभमानः पताकयाविष्कृतवैरिघातः । शुक्लाङ्गकान्त्यम्बरपूरितश्रीः श्रेयांसि संघस्य सदा "ॐ नमः श्रीमहेश्वराय भूतवादिव्यन्तरेन्द्राय श्रीमहेश्वर सायुधः सवाहनः..... शेष पूर्ववत् । " सुवक्ष इन्द्र की पूजा के लिए - छंद लमनोज्ञवासाः । संक्षिप्तपापकरणः शरणं भयार्त्ती वक्षः समाश्रयतु शुद्धहृदां सुवक्षाः।।“ (वसन्ततिलका) “विक्षिप्तदानवचयः कलधौतकान्तिः श्रीवत्सकेतुरतिनी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001720
Book TitlePratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size16 MB
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