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________________ आचारदिनकर (खण्ड-३) 65 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान . मंत्र - “ॐ नमः श्रीगीतयशसे गन्धर्वव्यन्तरेन्द्राय श्रीगीतयशः सायुधः सवाहनः...... शेष पूर्ववत् ।' संनिहित इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - “विशदशरदिन्दुकरकुन्दसमदेहरुग् नीलमणिवर्णवसनप्रभाजालयुक्। विश्वरूपोल्लसद्यानकेतूच्छ्रितः संनिहितदेवराडस्तु निकटस्थितः।। (चन्द्रानन) मंत्र - “ॐ नमः श्रीसंनिहिताय अणपत्रिव्यन्तरेन्द्राय श्रीसंनिहित सायुधः सवाहनः...... शेष पूर्ववत्।" सन्मान इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - "स्फटिकोज्चलप्रचलदंशुसंवरो विलसत्तमालदलसंनिभाम्बरः। सन्माननायकहरिर्गरुत्मता ध्वजसंस्थितेन कलितः श्रियेस्तु नः।। (उपजाति) । मंत्र - “ॐ नमः श्रीसन्मानाय अणपन्निव्यन्तरेन्द्राय श्रीसन्मान सायुधः सवाहनः....... शेष पूर्ववत्।" धात्रे इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - "जम्बूनदाभवपुरूत्थदीधितिः प्रस्फारितोरुफलिनीसमाम्बरः। फलहस्तवानरवरिष्ठकेतुभाग् धाता दधातु विभुतामनिन्दिताम् ।। (उपजाति) मंत्र - "ॐ नमः श्रीधात्रे पणपत्रिव्यन्तरेन्द्राय श्रीधातः सायुधः सवाहनः... शेष पूर्ववत्। विधाते इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - “आरगवंधाङ्गकुसुमोपमकायकान्तिर्मोचादलप्रतिमवस्त्रविराजमानः। केतुप्रदृप्तवरवानरचित्तहारी . विश्वं विशेषसुखितं कुरुताद्विधाता।" (वसन्ततिलका) मंत्र - “ॐ नमः श्रीविधात्रे पणन्निव्यन्तरेन्द्राय श्रीविधातः सायुधः सवाहनः..... शेष पूर्ववत्।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001720
Book TitlePratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size16 MB
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