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________________ आचारदिनकर (खण्ड-३) 58 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान वेणुदेवेन्द्र की पूजा के लिए - छंद - "हेमकान्तिर्विशुद्धिवस्त्रस्तार्क्षकेतुः प्रधानशस्त्रः। शुद्धिचेताः सुदृष्टिरत्नं वेणुदेवः श्रियं करोतु।। (लघुमुखीछन्द) मंत्र - "ऊँ नमः श्रीवेणुदेवाय सुपर्णभवनपतीन्द्राय श्रीवेणुदेवेन्द्र सायुधः सवाहनः...... शेषं पूर्ववत्। वेणुदारीन्द्र की पूजा के लिए - छंद - “तामंधारी चामीकरप्रभः श्वेतवासा विद्रावयन्द्विषः। देवभक्तोपि विस्फारयन् मनो वेणुदारी लक्ष्मी करोत्वलम् ।।“ (पंक्तिजाति) मंत्र - "ऊँ नमः . श्रीवेणुदारिणे सुवर्णभवनपतीन्द्राय श्रीवेणुदारीन्द्र सायुधः सवाहनः..... शेष पूर्ववत् ।' हरिकान्तेन्द्र की पूजा के लिए - छंद - "रक्ताङ्गरुग् नीलवरेण्यवस्त्रः सुरेशशस्त्रध्वजराजमानः । ___इह प्रतिष्ठासमये करोतु समीहितं श्रीहरिकान्तदेवः ।।" मंत्र - ___ “ऊँ नमः श्रीहरिकान्ताय विद्युद्भवनपतीन्द्राय श्रीहरिकान्त सायुधः सवाहनः.... शेष पूर्ववत्। हरिसंज्ञ इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - "रक्तप्रभाधः कृतपद्मरागो वज्रध्वजोत्पादितशकभीतिः । रम्भादलाभाद्भुतनक्तकश्रीः सहानुवादो हरिसंज्ञ इन्द्रः ।। (उपजाति) मंत्र - "ॐ नमः श्रीहरिसंज्ञाय सायुधः सवाहनः....... शेष पूर्ववत्। ____ अग्निशिखा इन्द्र की पूजा के लिए - छंद - “कुम्भध्वजश्चारुतरारुणश्रीः सुचङ्गदेहो हरितान्तरीयः। भक्त्या विनम्रोऽग्निशिखो महेन्द्रो दारिद्यमुद्रां श्लथतां करोतु।।" (उपजाति) मंत्र - “ॐ नमः श्रीअग्निशिखाय अग्निभवनपतीन्द्राय श्रीअग्निशिख सायुधः सवाहनः....... शेष पूर्ववत् । अग्निमानव इन्द्र की पूजा के लिए - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001720
Book TitlePratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size16 MB
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