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कषाय : एक तुलनात्मक अध्ययन २७
अवसर मिला। एतदर्थ मैं साध्वीवर्या-द्वय का आभारी हूँ। मुझे विश्वास है कि पूज्या साध्वीश्री मणिप्रभाश्री जी अपनी प्रेरणा एवं श्री हेमप्रज्ञाश्री जी अपने श्रम से ऐसी अन्य कृतियों का प्रणयन करते हुए जैन विद्या के भण्डार को समृद्ध करती रहेंगी।
इसी मंगल भावना के साथ। भाद्रपद शुक्ल ५
डॉ. सागरमल जैन दिनांक : २७.८.९८
निदेशक (इमेरिटस) पार्श्वनाथ विद्यापीठ
वाराणसी
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