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________________ ६६ कषाय एवं नोकषाय मोहनीय का अनुभाग - बन्ध४६ किस कर्म - प्रकृति का फल कितना कठोर हो सकता है, इसे बताने के लिए 'गोम्मटसार' में चार उपमाएँ दी गयी हैं : उपमाएँ शैल (पर्वत) [ कठोरतम ] अस्थि (हड्डी) [ कठोरतम ] दारू की लकड़ी [कठोर ] अनन्त बहुभाग कुछ भाग लता (मृदु ) १-४ ५-८ ९-१२ १३ १४ १५ १६ harathara अनन्तानुबन्धी-चतुष्क अप्रत्याख्यानी चतुष्क प्रत्याख्यानावरण चतुष्क संज्वलन क्रोध संज्वलन मान संज्वलन माया संज्वलन लोभ १७-१८ हास्य, रति १९-२२ अरति, शोक, भय, जुगुप्सा २३ स्त्रीवेद २४ २५ पुरुषवेद नपुंसकवेद कषाय एवं नोकषाय मोहनीय कर्म-प्रकृतियों का स्थिति-बन्ध ( काल - मर्यादा) कषाय: एक तुलनात्मक अध्ययन Jain Education International कर्म - प्रकृतियाँ अनन्तानुबन्धी कषायचतुष्क अप्रत्याख्यानी कषायचतुष्क प्रत्याख्यानावरण कषायचतुष्क ४६. गो. क. / गा. १८० ४७. ( अ ) पंचम कर्म ग्रन्थ / गा. २९ से ३२ "" संज्वलन कषायचतुष्क, नो कषाय - नौ संज्वलन कषायचतुष्क, नो कषाय- नौ अधिकतम स्थिति ४० कोडाकोडी सागरोपम ४० कोडाकोडी सागरोपम ४० कोडाकोडी सागरोपम ४० कोडाकोडी सागरोपम ४० कोडाकोडी सागरोपम ... ४० कोडाकोडी सागरोपम ४० कोडाकोडी सागरोपम १० कोडाकोडी सागरोपम २० कोडाकोडी सागरोपम १५ कोडाकोडी सागरोपम १० कोडाकोडी सागरोपम २० कोडाकोडी सागरोपम (ब) क. चू. / अ. ३ / गा. २२ / सू. १६ से २२ ( स ) तत्त्वार्थसूत्र / अ. ८ / सू. २१ 11 For Private & Personal Use Only ૪૭ अल्पतम-स्थिति दो समय दो समय दो समय अन्तर्मुहूर्त कम दो महीना अन्तर्मुहूर्त कम एक महीना अन्तर्मुहूर्त कम आधा महीना एक समय संख्यात वर्ष प्रमाण संख्यात वर्ष प्रमाण एक समय अन्तर्मुहूर्त कम आठ वर्ष एक समय www.jainelibrary.org
SR No.001719
Book TitleKashay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHempragyashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Kashaya
File Size11 MB
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