SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कषाय और कर्म कषाय एवं नोकषाय मोहनीय कर्म-प्रकृतियों का प्रदेश-बन्ध कर्म-परमाणुओं का विभाजन " सर्वघाती देशघाती अनन्तानुबन्धी अप्रत्याख्यानी प्रत्याख्यानावरण कषायचतुष्क कषायचतुष्क कषायचतुष्क कषाय मोहनीय नोकषाय मोहनीय - - - संज्वलन क्रोध संज्वलन मान संज्वलन माया संज्वलन,लोभ । । । हास्य रति भय जुगुप्सा स्त्रीवेद/पुरुषवेद शोक अरति नपुंसक वेद गोम्मटसार के अनुसार कर्म-परमाणुओं का कषाय एवं नोकषाय मोहनीय कर्म-प्रकृतियों में विभाजन- १५ __ सर्वाधिक कर्म-परमाणु अनन्तानुबन्धी लोभ उससे अल्प माया क्रोध मान अप्रत्याख्यानी लोभ माया क्रोध मान प्रत्याख्यानावरण लोभ माया क्रोध मान संज्वलन लोभ संज्वलन लोभ के समान संज्वलन माया, क्रोध, मान, हास्य/शोक, रति अरति, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद/पुरुषवेद/नपुंसकवेद में कर्म-परमाणुओं का बँटवारा होता है। ४४. पंचम कर्म ग्रन्थ/ गा. ८१ ४५. गो. क./ गा. २०२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001719
Book TitleKashay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHempragyashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Kashaya
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy